भारत के औद्योगिक क्षेत्र ने अक्टूबर में मात्र 0.4% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले 14 महीनों की सबसे कमजोर वृद्धि है। ये नए आँकड़े सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी किए गए हैं। यह धीमी वृद्धि मुख्य रूप से कमज़ोर विनिर्माण, खनन उत्पादन में गिरावट, और बिजली उत्पादन में कमी के कारण हुई।
विशेषज्ञों के अनुसार औद्योगिक पुनरुद्धार अभी भी असमान और नाज़ुक है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं:
घरेलू मांग में कमी
वैश्विक परिस्थिति में अनिश्चितता
कुछ उद्योगों में विशिष्ट समस्याएँ
त्योहारों के कारण अक्टूबर में कार्य-दिवस कम होना
देर से मानसून वापसी, जिससे खनन और बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ
अर्थशास्त्री एन. आर. भानुमूर्ति ने बताया कि IIP उत्पादन की मात्रा पर आधारित होता है, और त्योहारों के चलते कम कार्य-दिवस होने से उत्पादन घटा।
IIP में इसकी हिस्सेदारी लगभग 78% है।
अक्टूबर में विनिर्माण सिर्फ 1.8% बढ़ा, जबकि:
सितंबर में 5.6%
पिछले वर्ष अक्टूबर में 4.4% की वृद्धि हुई थी।
पूंजीगत वस्तुएँ (Capital goods): +2.4%
मध्यवर्ती वस्तुएँ (Intermediate goods): +0.9%
इंफ्रास्ट्रक्चर/निर्माण वस्तुएँ: +7.9%
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ (Consumer durables): 0.5% की मामूली गिरावट (पिछले महीने की तेज़ वृद्धि के बाद)
प्राथमिक वस्तुएँ (Primary goods): –0.6%
उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुएँ (Consumer non-durables): –4.4%
अर्थशास्त्री मानते हैं कि अक्टूबर–दिसंबर (Q3) औद्योगिक क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। उम्मीद है कि नए GST सिस्टम और पहले घोषित कम आयकर दरों का प्रभाव उपभोग बढ़ाएगा और औद्योगिक वृद्धि में सुधार ला सकता है।
यह औद्योगिक आँकड़ा ऐसे समय आया है जब भारत ने जुलाई–सितंबर तिमाही में 8.2% GDP वृद्धि दर्ज की है, जो संकेत देता है कि समग्र अर्थव्यवस्था अब भी मजबूत प्रदर्शन कर रही है।
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