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HSBC ने भारतीय स्टार्टअप्स के लिए 1 बिलियन डॉलर देने का वादा किया

भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूती देने की दिशा में एक बड़े कदम के तहत, एचएसबीसी (HSBC) ने अपने नए इनोवेशन बैंकिंग प्लेटफ़ॉर्म (Innovation Banking Platform) के माध्यम से शुरुआती और विकास-स्तर के स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए 1 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹8,880 करोड़) की प्रतिबद्धता जताई है। यह पहल गैर-इक्विटी आधारित ऋण पूंजी (Non-Dilutive Debt Capital) जैसे कार्यशील पूंजी (Working Capital) और टर्म लोन (Term Loans) के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जिससे स्टार्टअप्स को अपने स्वामित्व में हिस्सेदारी दिए बिना धन प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, भारत एचएसबीसी की इस विशेष इनोवेशन बैंकिंग सेवा से लाभान्वित होने वाला 13वां वैश्विक बाज़ार बन गया है।

पहल की प्रमुख विशेषताएँ

1. गैर-इक्विटी वित्तीय सहायता (Non-Dilutive Financial Support):
इस फंड के माध्यम से स्टार्टअप्स को ऐसे ऋण मिलेंगे जिनमें इक्विटी हिस्सेदारी छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे संस्थापकों को अपने स्टार्टअप पर नियंत्रण बनाए रखते हुए विस्तार करने में मदद मिलेगी।

2. जीवनचक्र आधारित सहायता – बीज से लेकर IPO तक (Lifecycle Support – From Seed to IPO):
यह पहल स्टार्टअप्स के विभिन्न विकास चरणों के अनुसार पूंजी और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करेगी — शुरुआती चरण से लेकर सार्वजनिक निर्गम (IPO) से पहले तक।

3. वैश्विक नेटवर्क से जुड़ाव (Global Integration):
इस लॉन्च के साथ भारतीय स्टार्टअप्स को एचएसबीसी के अंतरराष्ट्रीय इनोवेशन बैंकिंग नेटवर्क तक पहुँच मिलेगी, जो उन्हें वैश्विक बाज़ारों, वित्तीय सलाह और क्रॉस-बॉर्डर संचालन सहयोग से जोड़ने में मदद करेगी।

4. निवेश में विस्तार (Scaling Past Commitments):
एचएसबीसी ने पहले वर्ष 2020 में लगभग 50 मिलियन डॉलर और 2024 में इसे बढ़ाकर 600 मिलियन डॉलर किया था। 2025 में घोषित 1 अरब डॉलर का यह वचन भारत की नवाचार-आधारित अर्थव्यवस्था में उसकी गहरी भागीदारी को दर्शाता है।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

1. स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना:
यह कदम भारत के स्टार्टअप परिदृश्य में मौजूद ऋण वित्त की कमी को दूर करेगा, जो अब तक अधिकतर इक्विटी निवेश पर निर्भर रहा है।

2. संस्थापकों की स्वामित्व सुरक्षा:
गैर-इक्विटी पूंजी से स्टार्टअप्स अपने दीर्घकालिक दृष्टिकोण और रणनीति पर नियंत्रण बनाए रख सकते हैं, जिससे बाहरी निवेशकों का दबाव कम होगा।

3. आर्थिक प्रभाव:
यह पहल भारत की 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की स्टार्टअप अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा के अनुरूप है, जिसके तहत प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से 5 करोड़ से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है।

स्थायी तथ्य

विवरण जानकारी
फंड आकार 1 अरब अमेरिकी डॉलर (₹8,880 करोड़ लगभग)
पूंजी का स्वरूप गैर-इक्विटी (ऋण आधारित)
उद्देश्य भारतीय स्टार्टअप्स के लिए कार्यशील पूंजी व टर्म लोन
लक्ष्य चरण बीज चरण से लेकर IPO तक
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