हिमाचल प्रदेश ने जुलाई 2025 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन देने के लिए आधार आधारित फेस ऑथेंटिकेशन (FaceAuth) की शुरुआत कर दी है। यह तकनीक पहचान सत्यापन को आसान, तेज़ और अधिक विश्वसनीय बनाती है और OTP और फिंगरप्रिंट जैसे पुराने तरीकों में आने वाली समस्याओं को दूर करती है।
राशन वितरण के लिए नई तकनीक
इस नई व्यवस्था में राशन कार्डधारकों की पहचान उनके चेहरे की स्कैनिंग के माध्यम से की जाती है, जो उनके आधार नंबर से जुड़ी होती है। फेस ऑथेंटिकेशन एक मोबाइल ऐप के ज़रिए होता है, जो फेयर प्राइस शॉप (FPS) डीलर के स्मार्टफोन में इंस्टॉल किया गया है। जब लाभार्थी राशन लेने आता है, तो ऐप से उसका चेहरा स्कैन किया जाता है और आधार डेटा से मिलान कर उसे राशन दिया जाता है।
बदलाव क्यों जरूरी था?
OTP आधारित प्रणाली दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या के कारण असफल हो जाती थी। फिंगरप्रिंट स्कैन भी कई बार UIDAI सर्वर की त्रुटियों या अंगुलियों के घिस जाने के कारण विफल हो जाता था। इन समस्याओं को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के डिजिटल तकनीक और शासन विभाग (DDTG) ने FaceAuth प्रणाली विकसित की और लागू की।
आधिकारिक बयान और आगे की योजना
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार गोपाल बुटेल ने इस पहल को डिजिटल प्रशासन में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि फेस ऑथेंटिकेशन से पहचान की सफलता दर बढ़ेगी और राशन मिलने में लगने वाला समय घटेगा।
राज्य सरकार का मानना है कि यह नई व्यवस्था लाभार्थियों को बिना देरी और दिक्कत के राशन तक पहुंच सुनिश्चित करेगी और समावेशी वितरण प्रणाली को बढ़ावा देगी।
आने वाले महीनों में यह तकनीक राज्य की सभी उचित मूल्य दुकानों (FPS) पर लागू की जाएगी। यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन और लाभार्थी-केंद्रित शासन की दिशा में हिमाचल प्रदेश का एक प्रशंसनीय और अग्रणी कदम माना जा रहा है।


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