भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 5 से 7 फरवरी 2025 तक अपनी 53वीं बैठक आयोजित की। बैठक की अध्यक्षता RBI के गवर्नर श्री संजय मल्होत्रा ने की। इस बैठक में डॉ. नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रो. राम सिंह, डॉ. राजीव रंजन और श्री एम. राजेश्वर राव ने भाग लिया।
वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों और भविष्य के आर्थिक रुझानों का मूल्यांकन करने के बाद, MPC ने सर्वसम्मति से रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती करने और तटस्थ मौद्रिक नीति रुख (Neutral Monetary Policy Stance) बनाए रखने का निर्णय लिया। यह निर्णय मुद्रास्फीति (Inflation) नियंत्रण, आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता को संतुलित रखने की RBI की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
RBI मौद्रिक नीति समिति 2025 की प्रमुख घोषणाएँ
1. रेपो दर में कटौती
- रेपो दर को 25 आधार अंक (bps) घटाकर 6.25% कर दिया गया है।
- इसका उद्देश्य उधारी को सस्ता बनाकर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
2. अन्य प्रमुख दरों में बदलाव
रेपो दर में कटौती के बाद, RBI ने अन्य महत्वपूर्ण दरों को भी समायोजित किया:
दर | नई दर (%) |
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स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर | 6.00% |
सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर | 6.50% |
बैंक दर | 6.50% |
3. तटस्थ मौद्रिक नीति रुख
- RBI ने तटस्थ रुख बनाए रखा है, जिससे भविष्य में किसी भी आर्थिक अस्थिरता के अनुसार नीतियों को समायोजित किया जा सके।
4. मुद्रास्फीति लक्ष्य और आर्थिक वृद्धि
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति को 4% (+/- 2%) के दायरे में बनाए रखने का लक्ष्य।
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि को संतुलित रूप से बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित।
आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति का आउटलुक
1. वैश्विक आर्थिक रुझान
वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि औसत से कम बनी हुई है, जिससे भारत पर भी प्रभाव पड़ सकता है। प्रमुख चुनौतियाँ:
- अस्थिर वैश्विक मुद्रास्फीति
- भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions)
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों में अनिश्चितता
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती से वित्तीय बाजारों में अस्थिरता
2. भारत की आर्थिक वृद्धि का पूर्वानुमान
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान।
- वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि दर 6.7% रहने की संभावना।
त्रैमासिक GDP वृद्धि दर पूर्वानुमान (2025-26)
तिमाही | GDP वृद्धि दर (%) |
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Q1 (अप्रैल-जून 2025) | 6.7% |
Q2 (जुलाई-सितंबर 2025) | 7.0% |
Q3 (अक्टूबर-दिसंबर 2025) | 6.5% |
Q4 (जनवरी-मार्च 2026) | 6.5% |
संभावित आर्थिक जोखिम
- भू-राजनीतिक अस्थिरता (जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व तनाव)।
- व्यापार नीतियों में संरक्षणवाद (टैरिफ और निर्यात प्रतिबंध)।
- अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव।
- वित्तीय बाजारों में अस्थिरता।
3. मुद्रास्फीति रुझान
- अक्टूबर 2024 में 6.2% के उच्चतम स्तर पर पहुँचने के बाद, नवंबर-दिसंबर 2024 में हेडलाइन मुद्रास्फीति में गिरावट आई।
- इस गिरावट के कारण:
- सब्जियों की कीमतों में कमी
- कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation) स्थिर
- ईंधन क्षेत्र में मूल्य गिरावट
त्रैमासिक CPI मुद्रास्फीति पूर्वानुमान (2025-26)
तिमाही | CPI मुद्रास्फीति (%) |
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Q1 (अप्रैल-जून 2025) | 4.5% |
Q2 (जुलाई-सितंबर 2025) | 4.0% |
Q3 (अक्टूबर-दिसंबर 2025) | 3.8% |
Q4 (जनवरी-मार्च 2026) | 4.2% |
- सामान्य मानसून और अच्छी रबी फसल उत्पादन से खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने की उम्मीद।
- हालाँकि, वैश्विक अस्थिरता और ऊर्जा मूल्य अस्थिरता संभावित जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं।
मौद्रिक नीति निर्णयों का औचित्य
1. मुद्रास्फीति में कमी से दर कटौती का समर्थन
- MPC ने मुद्रास्फीति में निरंतर गिरावट को देखते हुए नीतिगत दर कटौती की सिफारिश की।
- खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट और पूर्व नीतिगत उपायों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया।
2. आर्थिक विकास को समर्थन आवश्यक
- वर्तमान आर्थिक विकास दर पिछले वर्ष की तुलना में कम है।
- रेपो दर में कटौती से:
- ऋण लेना और निवेश करना आसान होगा।
- निजी खपत को बढ़ावा मिलेगा।
- अर्थव्यवस्था की रिकवरी तेज होगी।
3. वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति सतर्कता
- अस्थिर वित्तीय बाजार और व्यापारिक नीतियों में बदलाव के कारण RBI सतर्क रहेगा।
- मौसमी घटनाओं का भी कृषि उत्पादन और मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ सकता है।
4. लचीलेपन के लिए तटस्थ नीति रुख
- अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार भविष्य में नीतिगत समायोजन की संभावना बनी रहेगी।
आगामी MPC बैठकें
- MPC बैठक के मिनट्स का प्रकाशन – 21 फरवरी 2025।
- अगली MPC बैठक – 7 से 9 अप्रैल 2025।
RBI भविष्य की आर्थिक परिस्थितियों की बारीकी से निगरानी करेगा और आवश्यकतानुसार मौद्रिक नीति में समायोजन करेगा।