केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने चेन्नई बंदरगाह पर तटीय अनुसंधान वाहन (Coastal Research Vehicle) “सागर अन्वेषिका” का जलावतरण किया है। इस वाहन का उपयोग तटीय और अपतटीय जल दोनों में पर्यावरण अनुक्रमण और बाथिमेट्रिक (पानी के नीचे की सुविधाओं को मैप करने) के लिए किया जाएगा।
इसका उपयोग राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जाएगा और इसका निर्माण टीटागढ़ वैगन्स, कोलकाता, पश्चिम बंगाल द्वारा किया गया है। NIOT के पहले से ही 6 रिसर्च वेसेल्स हैं – सागर कन्या, सागर सम्पदा, सागर निधि, सागर मानुष, और सागर तारा.
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‘सागर अन्वेषिका’ के बारे में:
- अन्वेशिका को भारतीय नौवहन रजिस्टर (IRClass) के तहत बनाया गया है और यह एक DP (डायनामिक पोजिशनिंग) -सक्षम जहाज है।
- अन्वेशिका समुद्र में खोज करने की क्षमता और क्षमता को बढ़ाएगी जो पानी, ऊर्जा, भोजन, खनिजों का एक बड़ा स्रोत है।
- अनुसंधान वाहन का उपयोग करते हुए, समुद्री वैज्ञानिक समुद्र के नीचे छह किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं। वैज्ञानिक भी अनुसंधान गतिविधियों का संचालन करने के लिए 16 घंटे से अधिक समय तक पानी के भीतर रह सकते हैं।
- अन्वेशिका वैज्ञानिकों को विभिन्न समुद्र विज्ञान अनुसंधान मिशनों को संचालित करने में सक्षम करेगी, इसमें नवीनतम उपकरणों से लैस आधुनिक प्रयोगशालाएं हैं।
उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-
- राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक: डॉ. जी ए रामदास
- राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान मुख्यालय: चेन्नई, तमिलनाडु