ग्यालो थोंडुप, जो 14वें दलाई लामा के बड़े भाई और तिब्बती राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे, का 8 फरवरी 2025 को पश्चिम बंगाल के कालिम्पोंग स्थित अपने निवास पर निधन हो गया। वे 97 वर्ष के थे और उम्र संबंधी बीमारियों से ग्रसित थे। 1928 में तिब्बत के अमदो क्षेत्र के ताकत्सेर गांव में जन्मे थोंडुप, दलाई लामा के छह भाई-बहनों में दूसरे सबसे बड़े थे। उन्होंने तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने भाई की ओर से कई वैश्विक नेताओं से संवाद किया।
ग्यालो थोंडुप का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
1939 में थोंडुप अपने परिवार के साथ ल्हासा चले गए। 14 वर्ष की आयु में वे चीनी इतिहास की पढ़ाई के लिए नानजिंग, चीन गए। वहां उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रीय सरकार के प्रमुख च्यांग काई-शेक सहित कई प्रभावशाली राजनेताओं से मुलाकात की। 1948 में, उन्होंने कुओमिन्तांग के एक जनरल की बेटी, झू डैन से विवाह किया। 1949 में उन्होंने नानजिंग छोड़ दिया और अंततः भारत के कालिम्पोंग में बस गए।
तिब्बती संघर्ष में ग्यालो थोंडुप का योगदान
थोंडुप 1952 में भारतीय नागरिक बन गए और तिब्बत के समर्थन के लिए भारत और अमेरिकी सरकारों से संपर्क स्थापित किया। 1959 में जब तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह हुआ, तो उन्होंने दलाई लामा के भारत पलायन को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1950 और 1960 के दशक में, उन्होंने तिब्बती स्वतंत्रता सेनानियों को हथियारों से लैस करने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी (CIA) के साथ भी सहयोग किया।
ग्यालो थोंडुप का अंतिम जीवन और विरासत
अपने जीवन के उत्तरार्ध में, थोंडुप कालिम्पोंग में बस गए, जहां उन्होंने एक सफल नूडल व्यवसाय स्थापित किया। उन्होंने 2015 में प्रकाशित अपने संस्मरण “द नूडल मेकर ऑफ कालिम्पोंग” में अपने जीवन और तिब्बती संघर्ष के अनुभवों को साझा किया। कठिनाइयों के बावजूद, वे जीवनभर तिब्बती स्वायत्तता के लिए संघर्षरत रहे।
9 फरवरी 2025 को कर्नाटक के बायलाकुप्पे स्थित ताशी ल्हुंपो मठ में दलाई लामा ने अपने दिवंगत भाई के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन किया। उनका अंतिम संस्कार 11 फरवरी 2025 को कालिम्पोंग में किया जाएगा।
मुख्य बिंदु | विवरण |
क्यों चर्चा में? | ग्यालो थोंडुप, दलाई लामा के बड़े भाई और तिब्बती राजनीति के प्रमुख व्यक्तित्व, का 8 फरवरी 2025 को भारत के कालिम्पोंग में 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तिब्बती स्वायत्तता के लिए कूटनीतिक प्रयास किए। |
निधन की तिथि | 8 फरवरी 2025 |
निधन का स्थान | कालिम्पोंग, पश्चिम बंगाल, भारत |
आयु | 97 वर्ष |
जन्म वर्ष | 1928 |
जन्मस्थान | ताकत्सेर गांव, अमदो क्षेत्र, तिब्बत |
रिश्ता | 14वें दलाई लामा के बड़े भाई |
मुख्य योगदान | तिब्बती स्वतंत्रता के लिए संघर्ष, 1959 में दलाई लामा के भारत आगमन में सहायता, CIA के सहयोग से तिब्बती प्रतिरोध को समर्थन, वैश्विक नेताओं से तिब्बत के पक्ष में संवाद। |
प्रकाशित पुस्तक | द नूडल मेकर ऑफ कालिम्पोंग (2015) |
शिक्षा | नानजिंग, चीन में चीनी इतिहास का अध्ययन |
जीवनसाथी | झू डैन (कुओमिन्तांग जनरल की पुत्री) |
अंतिम संस्कार की तिथि | 11 फरवरी 2025 |
तिब्बती विद्रोह | 1959 (चीन के शासन के खिलाफ असफल विद्रोह) |
राज्य (निधन स्थान – कालिम्पोंग) | पश्चिम बंगाल |
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री | ममता बनर्जी |
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल | सी. वी. आनंद बोस |
पश्चिम बंगाल की राजधानी | कोलकाता |
तिब्बती निर्वासित सरकार | धर्मशाला, भारत में स्थित |