गुरु नानक जयंती, जिसे गुरपुरब या गुरु नानक प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है, सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पहले सिख गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्म का उत्सव है, जिन्होंने एकता, समानता और निःस्वार्थ सेवा का संदेश दिया। 2024 में यह विशेष दिन 15 नवंबर को मनाया जाएगा, जो गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती होगी।
इस वर्ष, गुरु नानक जयंती शुक्रवार, 15 नवंबर को मनाई जाएगी। श्रद्धालु सुबह जल्दी ही विशेष पूजा-अर्चना शुरू करेंगे, जो निम्नलिखित समय के अनुसार होंगे:
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 15 नवंबर को सुबह 6:19 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 16 नवंबर को सुबह 2:58 बजे
गुरु नानक जयंती का इतिहास
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नामक गाँव में हुआ था, जिसे अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। उनके माता-पिता, मेहता कालू और माता तृप्ता, एक साधारण हिंदू खत्री परिवार से थे। गुरु नानक ने बचपन से ही गहरे आध्यात्मिक रुझान दिखाए और कई अनुचित परंपराओं और प्रथाओं पर प्रश्न उठाए।
30 वर्ष की आयु में, उन्होंने एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया और यह संदेश दिया, “ना कोई हिंदू है, ना मुसलमान, ना ईसाई — मानवता एक है।” उनके उपदेश सभी को समान रूप से मानने और शांति व समझ को बढ़ावा देने पर आधारित थे।
गुरु नानक जयंती का महत्व
गुरु नानक जयंती सिर्फ एक उत्सव नहीं है; यह गुरु नानक के उपदेशों की याद दिलाता है। इस दिन लोग, विशेष रूप से भारत में, उनके प्रेम, समानता और दया के संदेश को याद करते हैं। उनके उपदेश सिर्फ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी समुदायों के लिए हैं, और यह जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव से दूर रहने का संदेश देते हैं।
गुरु नानक जयंती 2024 के अनुष्ठान और समारोह
गुरु नानक जयंती पर विशेष अनुष्ठान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:
- नगर कीर्तन (शोभा यात्रा): सिख समुदाय नगर कीर्तन में भाग लेते हैं, जिसमें वे भजन गाते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब को शोभायात्रा के रूप में लेकर चलते हैं।
- अखंड पाठ: गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का निरंतर पाठ किया जाता है।
- कीर्तन और कथा सत्र: भजन (कीर्तन) और गुरु नानक जी के जीवन और उपदेशों की कहानियाँ (कथा) सुनने के लिए श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं।
- लंगर सेवा (सामुदायिक रसोई): गुरुद्वारों में सभी के लिए नि:शुल्क भोजन परोसा जाता है, जिससे समानता और स्वागत का संदेश दिया जाता है।
- गुरबानी का पाठ और प्रार्थना: विशेष प्रार्थनाएँ (अरदास) की जाती हैं ताकि सभी के लिए आशीर्वाद और धन्यवाद अर्पित किया जा सके।
- कर सेवा (स्वयंसेवा): समाज सेवा और दूसरों की सहायता करने के कार्य किए जाते हैं, जो समाज की सेवा और परोपकार को दर्शाते हैं।