केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने 20 जुलाई 2023 को संसद को जानकारी दिया कि 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भूजल कानून को लागू किया है। इस कानून में वर्षा जल संचयन का प्रविधान शामिल है। लोकसभा में प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने बताया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपयुक्त भूजल कानून बनाने में सक्षम बनाने के लिए माडल विधेयक तैयार किया है।
वर्षा जल संचयन मॉडल लागु करने वाले राज्य:
मंत्रालय के अनुसार अब तक जिन 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने माडल विधेयक की तर्ज पर भूजल कानून को लागू किया है इनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बंगाल, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी शामिल हैं।
एससी क्षेत्रों में 60% ग्रामीण परिवारों को नल का जल:
इसके तहत अनुसूचित जाति (एससी) बहुल क्षेत्रों में 60 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया किया गया है। अनुसूचित जाति-केंद्रित/बहुल बस्तियों में 2,18,06,280 ग्रामीण परिवारों में से 1,32,64,760 को नल के पानी के कनेक्शन दिए गए हैं।
कृषि क्षेत्र में भूजल का वृहत उपयोग:
भारत सिंचाई हेतु मुख्य रूप से भूजल पर निर्भर है और यह भूजल की कुल वैश्विक मात्रा के एक बड़े भाग का उपयोग कर रहा है। क्योंकि देश में लगभग 70% खाद्य उत्पादन नलकूपों की सहायता से किया जाता है।
भूजल संकट:
- कृषि का भूजल पर यह अत्यधिक निर्भरता भूजल संकट को जन्म दे रही है। भूजल संरक्षण हेतु एक समग्र कार्ययोजना की आवश्यकता है।
- इसी सन्दर्भ में यूनेस्को ने 2018 में ‘विश्व जल विकास रिपोर्ट’, में भारत को विश्व का सबसे बड़ा भूजल उपयोग करने वाला देश बताया था।