
तमिलनाडु के कन्याकुमारी ज़िले की मूल किस्म मैटी केला (मैटी बनाना) को हाल ही में इसकी अनूठी विशेषताओं और गुणों के लिये भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया। मैटी केला भारत के तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले की एक प्रसिद्ध केले की किस्म है।
मैटी केला के छह प्रकार
ज्यादातर कन्याकुमारी जिले के अगाथीस्वरम, थोवोलाई, तिरुवत्तार तालुकों में उगाई जाने वाली केले की यह किस्म अत्यधिक सुगंधित, स्वाद में मीठी, दृढ़ बनावट और पाउडर जैसी प्रकृति के लिए जानी जाती है। मैटी बनाना के छह प्रकार होते हैं जो रंग, सुगंध, स्वाद और बनावट में भिन्न होते हैं, साथ ही बच्चों के भोजन एवं औषधीय उपयोग के लिये भी उपयुक्त होते हैं।
इसे ‘बेबी बनाना’ भी कहते है
इस केले को आमतौर पर ‘बेबी बनाना’ के नाम से जाना जाता है। कन्याकुमारी की विशिष्ट जलवायु और मृदा में इसका उपयुक्त विकास होता है। मैटी केला आमतौर पर 2.5 से 3 सेमी लंबा होता है।
प्रत्येक गुच्छे का वजन
15 महीने पुरानी फसल को दुर्लभ माना जाता है और यह केवल दक्षिण त्रावणकोर की पहाड़ियों में, खासकर नागरकोइल के पास उगाई जाती है। मैटी केले के प्रत्येक गुच्छे का वजन 12-19 किलो के बीच होता है। कन्नियाकुमारी मैटी केले के अन्य सामान्य प्रकारों में सेम्मट्टी (लाल मैटी), थेन मैटी (शहद मैटी) और मलाई मैटी (हिल मैटी) शामिल हैं।
जो बात मैटी केले को और भी खास बनाती है, वह यह है कि इसे शिशुओं द्वारा सुरक्षित रूप से खाया जा सकता है, और फल से निकलने वाले कार्म के अर्क का उपयोग पीलिया के इलाज के रूप में भी किया जाता है। सीधे उगने वाले सामान्य केले के गुच्छों के विपरीत, मैटी की उंगलियाँ हवा में उड़ती हुई एक विशिष्ट उपस्थिति प्रदर्शित करती हैं।
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