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बंदरगाहों और जहाजों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार करेगी बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो की स्थापना

भारत सरकार द्वारा बंदरगाह और पोत सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो (बीओएस) का निर्माण किया जाएगा। बीसीएएस के मॉडल के समान स्थापित यह नया कानूनी संस्थान भारतीय बंदरगाहों पर रिस्क-आधारित सुरक्षा, खुफिया आदान-प्रदान और साइबर सुरक्षा पर केन्द्रित होगा।

भारत के समुद्री सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में केंद्र सरकार ने बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो (बीओपीएस) की स्थापना का निर्णय लिया है। यह नया संस्थान बेहतर समन्वय, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और जोखिम-आधारित सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से बंदरगाहों और जहाजों की सुरक्षा में सुधार करेगा। यह निर्णय उस समय पर लिया गया है जब भारत के बंदरगाहों पर व्यापार की मात्रा निरंतर बढ़ रही है, जिससे वे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति बन गए हैं और उन्हें मजबूत एवं भविष्य-निर्माण सुरक्षा की आवश्यकता है।

पोर्ट सिक्योरिटी ब्यूरो क्या है?

  • ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (बीओपीएस) एक वैधानिक निकाय होगा जो पूरे भारत में बंदरगाहों, जहाजों और बंदरगाह सुविधाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को विनियमित करने और उसकी निगरानी करने के लिए जिम्मेदार होगा।
  • इसकी स्थापना व्यापारिक जहाजरानी अधिनियम, 2025 के तहत की जाएगी और यह बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के अधीन कार्य करेगा।
  • BoPS का ढांचा ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) की तर्ज पर बनाया जाएगा, जो देश में हवाई अड्डों और विमानन सुरक्षा की देखरेख करता है।

बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो के प्रमुख कार्य

BoPS निम्नलिखित के लिए जिम्मेदार होगा:

  • बंदरगाहों और जहाजों की सुरक्षा विनियमन और निगरानी
  • सुरक्षा संबंधी जानकारी का समय पर संग्रह, विश्लेषण और साझाकरण

जोखिम-आधारित और श्रेणीबद्ध सुरक्षा उपायों को लागू करना, जो निम्नलिखित पर आधारित हैं:

  • बंदरगाह का स्थान
  • व्यापार क्षमता
  • भेद्यता और खतरे की धारणा

साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, और बंदरगाह की आईटी और डिजिटल अवसंरचना को साइबर हमलों से बचाने के लिए एक समर्पित विभाग बनाया जाएगा।

भारत को एक समर्पित बंदरगाह सुरक्षा निकाय की आवश्यकता क्यों है?

भारत में 200 से अधिक बंदरगाह हैं, जिनमें प्रमुख बंदरगाह और बड़ी संख्या में गैर-प्रमुख बंदरगाह शामिल हैं, जो वैश्विक और क्षेत्रीय व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा संभालते हैं। वर्षों से, बंदरगाहों को कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ा है, जैसे कि…

  • तस्करी और अवैध व्यापार
  • आतंकवाद से संबंधित समुद्री जोखिम
  • पोर्ट आईटी सिस्टम के लिए साइबर खतरे
  • जहाजों की आवाजाही और रसद संबंधी जटिलता में वृद्धि

प्रमुख तथ्य

  • सरकार एक वैधानिक निकाय के रूप में बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो (बीओपीएस) की स्थापना करेगी।
  • BoPS बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन कार्य करेगा।
  • इसका मॉडल ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) पर आधारित होगा।
  • मुख्य फोकस क्षेत्रों में जोखिम-आधारित सुरक्षा, खुफिया जानकारी साझा करना और साइबर सुरक्षा शामिल हैं।
  • सीआईएसएफ बंदरगाहों के लिए मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन के रूप में कार्य करेगी।
  • इस कदम से भारत के समुद्री, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूती मिलती है।

आधारित प्रश्न

प्रश्न: बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो किस मौजूदा संगठन के मॉडल पर आधारित है?

A. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी)
B. नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस)
C. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ)
D. भारतीय तटरक्षक बल

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