भारत सरकार ने 16वें वित्त आयोग (16th Finance Commission) के कार्यकाल को एक माह के लिए बढ़ा दिया है। अब आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट 30 नवंबर 2025 तक प्रस्तुत करेगा, जबकि पहले इसकी समयसीमा 31 अक्टूबर 2025 तय थी। यह आयोग, जिसकी अध्यक्षता अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagariya) कर रहे हैं, 2026–2031 की अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण तथा आपदा प्रबंधन वित्त व्यवस्था की समीक्षा पर सिफारिशें देगा।
16वें वित्त आयोग की पृष्ठभूमि
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गठन तिथि: 31 दिसंबर 2023
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संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 280 (Article 280)
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मुख्य उद्देश्य:
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केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे की सिफारिश करना
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राजस्व वृद्धि के उपाय सुझाना
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आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत आपदा प्रत्युत्तर कोष और आपदा शमन कोष की वित्त व्यवस्था की समीक्षा करना
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आयोग की संरचना
अध्यक्ष: अरविंद पनगढ़िया (पूर्व उपाध्यक्ष, नीति आयोग)
पूर्णकालिक सदस्य:
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एनी जॉर्ज मैथ्यू – सेवानिवृत्त नौकरशाह
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मनोज पांडा – अर्थशास्त्री
अंशकालिक सदस्य:
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सौम्यकांति घोष – मुख्य आर्थिक सलाहकार, एसबीआई
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टी. रबी शंकर – उप-गवर्नर, आरबीआई
सचिव: ऋत्विक पांडे
(सहयोगी अधिकारी – दो संयुक्त सचिव और एक आर्थिक सलाहकार)
प्रमुख फोकस क्षेत्र
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कर-वितरण में संतुलन और समानता सुनिश्चित करना
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राज्यों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करना
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आपदा प्रतिक्रिया व शमन कोष की सुदृढ़ समीक्षा
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केंद्र और राज्यों के ऋण स्तरों की स्थिरता का आकलन
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प्रदर्शन आधारित अनुदानों के लिए नए प्रोत्साहन मॉडल विकसित करना
पूर्ववर्ती सिफारिशों का संदर्भ
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15वें वित्त आयोग (अध्यक्ष: एन.के. सिंह) ने 2021–2026 के लिए केंद्र के विभाज्य करों में से 41% हिस्सेदारी राज्यों को देने की सिफारिश की थी।
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यह 14वें आयोग (अध्यक्ष: वाई.वी. रेड्डी) की सिफारिशों के अनुरूप था।
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16वें आयोग से राज्यों को उम्मीद है कि राजकोषीय अनुशासन और योजनागत स्वायत्तता को लेकर अधिक स्पष्टता मिलेगी।
स्थिर तथ्य (Static Facts)
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| आयोग का नाम | 16वां वित्त आयोग |
| अध्यक्ष | अरविंद पनगढ़िया |
| गठन तिथि | 31 दिसंबर 2023 |
| मूल समयसीमा | 31 अक्टूबर 2025 |


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