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गोवा मुक्ति दिवस 2025: इतिहास, महत्व और समारोह

गोवा मुक्ति दिवस 2025 पूरे गोवा राज्य में 19 दिसंबर को गर्व और देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाता है। यह दिन 1961 में गोवा को 450 से अधिक वर्षों के पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराए जाने की ऐतिहासिक घटना की स्मृति में मनाया जाता है। यह भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता, स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और गोवा के लोगों के आत्म-शासन के लंबे संघर्ष को सम्मान देता है। यद्यपि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ था, लेकिन गोवा को स्वतंत्रता बाद में मिली, जिससे यह दिन भारत के स्वतंत्रता पश्चात इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय बनता है।

गोवा पर औपनिवेशिक शासन

गोवा भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित है और 1510 से पुर्तगाल के नियंत्रण में था। 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद भी गोवा, दमन और दीव पुर्तगाली क्षेत्रों के रूप में बने रहे। भारत ने प्रारंभ में गोवा के एकीकरण के लिए शांतिपूर्ण और कूटनीतिक प्रयास किए, लेकिन पुर्तगाल ने गोवा को उपनिवेश नहीं बल्कि अपना “ओवरसीज़ प्रांत” बताकर बातचीत से इनकार कर दिया। स्थिति इसलिए भी जटिल थी क्योंकि पुर्तगाल नाटो का सदस्य था और भारत पश्चिमी सैन्य गठबंधन के साथ टकराव से बचना चाहता था।

गोवा का स्वतंत्रता संग्राम

गोवा का स्वतंत्रता आंदोलन 18 जून 1946 को तब तेज़ हुआ, जब डॉ. राम मनोहर लोहिया और डॉ. जूलियाओ मेनेज़ेस ने पुर्तगालियों द्वारा लगाए गए सार्वजनिक सभाओं के प्रतिबंध को चुनौती दी। यद्यपि प्रारंभिक सविनय अवज्ञा आंदोलनों को दबा दिया गया, लेकिन इससे गोवा में व्यापक जन-प्रतिरोध की भावना जागृत हुई। समय के साथ विरोध प्रदर्शन, भूमिगत आंदोलन और राजनीतिक सक्रियता बढ़ती गई। दमन के बावजूद मुक्ति की माँग मजबूत बनी रही, जिससे गोवा का संघर्ष भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण, लेकिन अपेक्षाकृत कम चर्चित हिस्सा रहा।

ऑपरेशन विजय और गोवा की मुक्ति

निर्णायक मोड़ दिसंबर 1961 में आया, जब पुर्तगाली बलों ने भारतीय मछुआरों पर गोलीबारी की और भारतीय ग्रामीणों को बंधक बनाने का प्रयास किया। इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रक्षा मंत्री वी. के. कृष्ण मेनन की सलाह पर सैन्य कार्रवाई को स्वीकृति दी। 18 दिसंबर 1961 को ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया गया, जिसमें लगभग 30,000 भारतीय सैनिकों के साथ थलसेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से भाग लिया। यह अभियान 48 घंटे से भी कम समय में पूरा हुआ और 19 दिसंबर 1961 को गोवा आधिकारिक रूप से मुक्त हो गया, जिससे 451 वर्षों का पुर्तगाली शासन समाप्त हुआ।

मुक्ति के बाद

मुक्ति के बाद गोवा को दमन और दीव के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में प्रशासित किया गया। मेजर जनरल कुन्हिरामन पलट कांडेत को पहला उपराज्यपाल नियुक्त किया गया, जिन्हें प्रशासनिक संक्रमण की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और वह भारत का 25वाँ राज्य बना, जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश बने रहे। इससे गोवा का भारतीय संघ में पूर्ण संवैधानिक एकीकरण हुआ।

गोवा मुक्ति दिवस का महत्व

गोवा मुक्ति दिवस का राष्ट्रीय महत्व अत्यधिक है। यह भारत में यूरोपीय औपनिवेशिक शासन के अंतिम अंत का प्रतीक है और भारत की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के प्रति दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। यह दिवस सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को भी सम्मान देता है। ऑपरेशन विजय के दौरान 22 भारतीय सैनिकों और लगभग 30 पुर्तगाली सैनिकों ने अपने प्राण गंवाए, जिनका बलिदान भारत की एकता और स्वतंत्रता के लिए स्मरणीय है।

गोवा मुक्ति दिवस का आयोजन

यह दिवस पूरे गोवा में उत्साह के साथ मनाया जाता है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और नागरिकों को शुभकामनाएँ देते हैं। मशाल जुलूस, स्मृति सभाएँ और देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। साथ ही गोवा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, संगीत और परंपराओं को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं, जो गोवावासियों में गर्व और पहचान की भावना को सुदृढ़ करते हैं।

मुख्य बिंदु:

  • गोवा मुक्ति दिवस प्रतिवर्ष 19 दिसंबर को मनाया जाता है।
  • 1961 में ऑपरेशन विजय के माध्यम से गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया गया।
  • गोवा पर पुर्तगाली शासन 450 से अधिक वर्षों तक रहा।
  • ऑपरेशन विजय 48 घंटे से भी कम समय में संपन्न हुआ।
  • इस अभियान में 22 भारतीय सैनिक शहीद हुए।
  • गोवा 1961 में केंद्र शासित प्रदेश और 1987 में पूर्ण राज्य बना।
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