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मैंगलोर की छात्रा रेमोना परेरा ने लगातार 170 घंटे भरतनाट्यम करके विश्व रिकॉर्ड बनाया

कर्नाटक की मैंगलोर की छात्रा रेमोना परेरा नेलगातार 170 घंटे भरतनाट्यम करके विश्व रिकॉर्ड बनाया है। मैंगलोर के सेंट एलॉयसियस कॉलेज की बीए अंतिम वर्ष की छात्रा रेमोना का नाम अब गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है। रेमोना ने कॉलेज के रॉबर्ट सेक्वेरा हॉल में भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। उन्होंने लगातार सात दिनों तक दिन-रात भरतनाट्यम किया।

पिछला रिकॉर्ड 127 घंटे लगातार भरतनाट्यम का था। अब लगातार 170 घंटे भरतनाट्यम करके रेमोना परेरा ने वैश्विक स्तर पर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रेमोना पिछले 13 सालों से भरतनाट्यम का अभ्यास कर रही हैं। उन्होंने भरतनाट्यम में कई रिकॉर्ड बनाए हैं। वह रोजाना 5 से 6 घंटे भरतनाट्यम का अभ्यास करती हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ भरतनाट्यम को भी उतनी ही प्राथमिकता दी है।

रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

सात दिनों तक निरंतर नृत्य
सेंट एलोयसियस कॉलेज, मैंगलोर की छात्रा रेमोना ने लगातार सात दिन तक भरतनाट्यम नृत्य करते हुए 10,200 मिनट यानी 170 घंटे का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। यह प्रस्तुति 28 जुलाई 2025 को संपन्न हुई, और इस दौरान उन्होंने 2023 में 16 वर्षीय सुधीर जगपत द्वारा बनाए गए 127 घंटे के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

उत्सव का क्षण
जैसे-जैसे अंतिम घंटे नजदीक आया, सेंट एलोयसियस यूनिवर्सिटी का परिसर छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और शुभचिंतकों की तालियों और उत्साह से गूंज उठा। समापन समारोह में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एशिया प्रमुख डॉ. मनीष विष्णोई ने आधिकारिक रूप से इस उपलब्धि को मान्यता दी और इसे “कल्पनातीत” बताते हुए रेमोना की सहनशक्ति और संकल्प की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

परंपरा और आस्था को समर्पित

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
रेमोना की इस अद्वितीय यात्रा में उनका साथ देने वाले जेसुइट पादरी और कुलपति फादर प्रवीन मार्टिस ने इसे “170 घंटे की कृपा और संकल्प” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन केवल सहनशक्ति का परिचय नहीं था, बल्कि भरतनाट्यम की आध्यात्मिक गहराई और सांस्कृतिक समृद्धि को समर्पित एक गंभीर श्रद्धांजलि थी।

धार्मिक नेताओं का समर्थन
मैंगलोर के बिशप पीटर पॉल साल्डान्हा सहित कई गिरजाघर नेताओं ने कार्यक्रम में भाग लेकर रेमोना की सांस्कृतिक समरसता के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की। पूरे प्रदर्शन के दौरान रेमोना ने जपमाला (रोसरी) धारण की हुई थी, जिसे उन्होंने अपनी आंतरिक शक्ति का स्रोत बताया।

तैयारी की यात्रा

वर्षों की साधना
रेमोना पिछले 13 वर्षों से गुरु श्री विद्या के मार्गदर्शन में भरतनाट्यम का प्रशिक्षण ले रही हैं। इस मैराथन नृत्य की तैयारी के लिए उन्होंने हर दिन लगभग छह घंटे अभ्यास किया, जिससे उन्होंने अद्भुत सहनशक्ति और अनुशासन विकसित किया जो इस रिकॉर्ड को हासिल करने के लिए आवश्यक था।

भरतनाट्यम से परे बहुमुखी प्रतिभा
हालाँकि भरतनाट्यम उनकी मुख्य शैली है, लेकिन रेमोना सेमी-क्लासिकल, वेस्टर्न और कंटेम्पररी डांस शैलियों में भी दक्ष हैं, जो उन्हें एक बहुआयामी कलाकार बनाता है।

पहचान और पूर्व उपलब्धियाँ
रेमोना को इससे पहले कई प्रतिष्ठित रिकॉर्ड पुस्तकों में स्थान मिल चुका है, जिनमें शामिल हैं:

  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स

  • गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स – लंदन

  • भारत बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (2017)

ये सम्मान उनके निरंतर समर्पण और प्रदर्शन कलाओं में उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

कला के माध्यम से सांस्कृतिक एकता

धर्मों के बीच सेतु के रूप में नृत्य

प्रसिद्ध शास्त्रीय बांसुरी वादिका क्लारा डी’कुन्हा ने रेमोना की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि संगीत और नृत्य धार्मिक सीमाओं से परे होते हैं और वे एकता व पारस्परिक सम्मान का संदेश फैलाते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मैंगलोर के कई कैथोलिक युवा भारतीय शास्त्रीय कलाओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मैंगलोर डायोसीज़ का संदेशा सांस्कृतिक केंद्र जैसे संस्थान शास्त्रीय नृत्य और संगीत में प्रशिक्षण देकर इस सांस्कृतिक समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।

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