भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने 15-18 अप्रैल तक उज्बेकिस्तान की यात्रा पर गए हैं। इस दौरान उन्होंने उज्बेक सशस्त्र बल अकादमी में उच्च तकनीक आईटी प्रयोगशाला का उद्घाटन भी किया।
दरअसल भारत और उज्बेकिस्तान अपने संबंधों को मजबूत के दिशा में प्रयास कर रहा है। उसी कोशिश में दोनों ही देशों के सेना प्रमुख की बैठक आयोजत हुई। इस दौरान कई विषयों पर चर्चा की गई। बता दें कि सितंबर 2018 में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक हो चुकी थी। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि रक्षा मंत्रियों की बैठक दोनों देशों के रक्षा सहयोग के लिए मील का पत्थर होगी। उन्होंने कहा कि बताया कि रक्षा मंत्रियों की बैठक में आईटी लैब स्थापना पर चर्चा की गई थी। 2019 में इस योजना को मंजूरी मिली।
विदेश मंत्रालय की यूरेशिया की सहायता के माध्यम से स्वीकृत किया गया। लैब की स्थापना को लेकर 6.5 करोड़ से अधिक का बजट का प्रस्ताव भेजा गया था। बाद में इसके लिए 8.5 करोड रूपये आवंटित किए गए। इस लैब को बनाने के लिए भारतीय फर्म को कांट्रैक्ट मिला था। समय से इसे पूरा कर दिया गया।
आईटी लैब का विकास
हाई-टेक आईटी प्रयोगशाला की स्थापना भारत और उज्बेकिस्तान के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसमें भारतीय सहायता से इसकी शुरुआत हुई है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित और विदेश मंत्रालय की ‘सी’ पहल के माध्यम से वित्त पोषित, लैब उज़्बेक सशस्त्र बलों के लिए प्रशिक्षण संसाधनों को बढ़ाने, दोनों देशों के बीच तकनीकी प्रगति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।
परिचालन उत्कृष्टता और सहयोग
प्रारंभिक बजट बाधाओं के बावजूद, परियोजना ने गति पकड़ी और आवंटित समय सीमा के भीतर सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया। एक भारतीय फर्म ने अनुबंध जीता और भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच उत्कृष्टता और सहयोगात्मक साझेदारी के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए लैब की पूर्ण परिचालन तत्परता सुनिश्चित की।
द्विपक्षीय संबंधों में मील का पत्थर
जनरल पांडे की यात्रा और आईटी प्रयोगशाला का उद्घाटन भारत और उज्बेकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह पहल न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करती है बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी और सहयोग के क्षेत्र में आपसी विकास की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करती है।