वैश्विक व्यापार की गतिशीलता को नया रूप देने वाले एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत सहित कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर नए टैरिफ लगाए जाएँगे। ये टैरिफ, जिनकी सीमा 10% से 41% तक है, 7 अगस्त, 2025 से लागू होंगे। यह कदम ट्रम्प की “पारस्परिक टैरिफ” रणनीति का नवीनतम कदम है, जिसका उद्देश्य अन्य देशों द्वारा अमेरिकी निर्यात पर लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों से मेल खाना या उनका मुकाबला करना है।
परस्पर शुल्क क्या होते हैं?
परस्पर शुल्क वे आयात कर (टैरिफ) होते हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) उन देशों पर लगाता है जो अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं। इसका उद्देश्य व्यापार में समानता (fairness) सुनिश्चित करना होता है।
मुख्य उद्देश्य:
अन्य देशों द्वारा लगाए गए शुल्कों के मुकाबले बराबरी का शुल्क लगाकर निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना।
प्रभाव:
-
अमेरिका में आयातित वस्तुएँ महंगी हो सकती हैं।
-
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) प्रभावित हो सकती है।
-
अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
कार्यकारी आदेश (Executive Order) के प्रमुख बिंदु
प्रभावी तिथि: 7 अगस्त, 2025
शुल्क सीमा: 10% से 41% तक, संबंधित देश के आधार पर
प्रभावित देश: 68 देश + यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश
डिफ़ॉल्ट टैरिफ दर: जो देश विशेष रूप से सूचीबद्ध नहीं हैं, उन पर 10% शुल्क लागू होगा
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कार्यान्वयन से पहले थोड़ी देरी इसलिए रखी गई है ताकि सीमा शुल्क और बॉर्डर एजेंसियां नई नियमावली के अनुसार अपने सिस्टम अपडेट कर सकें।
भारत पर प्रभाव
भारत, जो अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, 25% शुल्क का सामना करेगा। इससे निम्न क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है:
-
वस्त्र और परिधान (Textiles and Garments)
-
दवाइयाँ और फार्मास्युटिकल उत्पाद
-
ऑटो पार्ट्स
-
आईटी हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स
भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा अमेरिकी बाज़ार में घट सकती है, जबकि अमेरिकी आयातकों की लागत बढ़ सकती है।
यूरोपीय संघ (EU) पर विशेष प्रावधान
ट्रंप के आदेश में यूरोपीय संघ के लिए अलग नियम हैं:
-
जिन वस्तुओं पर Column 1 ड्यूटी दर 15% से अधिक है, उन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा।
-
जिन वस्तुओं की ड्यूटी दर 15% से कम है, उन पर (15% – Column 1 ड्यूटी दर) के बराबर शुल्क लगाया जाएगा।
यह नीति यूरोपीय संघ के लिए कुछ रियायतें देती है, लेकिन भारत सहित अन्य देशों के लिए सख्त साबित हो सकती है।
देशों और टैरिफ दरों की पूरी सूची
नीचे प्रमुख देशों पर लगाए गए टैरिफ दरों का सारांश दिया गया है:
| देश का नाम | टैरिफ दर (%) |
| भारत | 25% |
| अफ़ग़ानिस्तान | 15% |
| अल्जीरिया | 30% |
| बांग्लादेश | 20% |
| ब्राज़ील | 10% |
| ब्रुनेई | 25% |
| कंबोडिया | 19% |
| इराक | 35% |
| जापान | 15% |
| कज़ाख़स्तान | 25% |
| लाओस | 40% |
| मलेशिया | 19% |
| म्यांमार (बर्मा) | 40% |
| पाकिस्तान | 19% |
| फिलीपींस | 19% |
| सर्बिया | 35% |
| दक्षिण अफ्रीका | 30% |
| श्रीलंका | 20% |
| स्विट्ज़रलैंड | 39% |
| सीरिया | 41% |
| ताइवान | 20% |
| थाईलैंड | 19% |
| यूनाइटेड किंगडम (यूके) | 10% |
| वियतनाम | 20% |
| … और कई अन्य देश | … |
(ट्रम्प के आधिकारिक आदेश के अनुसार पूर्ण टैरिफ सूची जारी है।)
वैश्विक आर्थिक प्रभाव
नए टैरिफ का असर व्यापक हो सकता है:
मूल्य वृद्धि: अमेरिका के उपभोक्ताओं को आयातित वस्तुओं के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
निर्यात में गिरावट: प्रभावित देशों का अमेरिका को होने वाला निर्यात घट सकता है।
व्यापारिक तनाव: यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन (WTO) में विवादों को और बढ़ा सकता है।
आपूर्ति श्रृंखला में बाधा: जिन निर्माताओं की निर्भरता आयातित कच्चे माल पर है, उनके लिए लागत में वृद्धि हो सकती है।
चल रही व्यापार वार्ताएँ
ट्रम्प ने मेक्सिको के साथ व्यापार वार्ताओं को 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि कुछ देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते अब भी संभव हैं। हालांकि, अधिकांश देश अनिश्चितता की स्थिति में हैं और किसी भी स्पष्ट छूट की घोषणा नहीं की गई है।
कानूनी चुनौतियाँ
अमेरिकी अपीलीय अदालत के न्यायाधीशों ने इन टैरिफों के कानूनी आधार पर सवाल उठाए हैं, जिससे कोर्ट में चुनौती की संभावना बन रही है। इसके बावजूद, प्रशासन इन्हें लागू करने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध दिख रहा है।


रूस को अफ्रीका में मिला पहला नौसेना बेस ...
भारत 2025-29 के कार्यकाल के लिए यूनेस्को...
भारत ने सबसे अधिक वोट के साथ एक बार फिर ...

