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FSSAI ने आयुर्वेद आहार उत्पादों के लिए लाइसेंसिंग पोर्टल लॉन्च किया

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने आयुर्वेद आहार उत्पादों के लिए अपने FoSCoS (Food Safety Compliance System) पोर्टल पर एक विशेष लाइसेंसिंग और पंजीकरण सुविधा शुरू की है। यह कदम पारंपरिक आयुर्वेदिक खाद्य प्रथाओं को आधुनिक खाद्य सुरक्षा नियमों के तहत मानकीकृत और औपचारिक बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। आयुष मंत्रालय के सहयोग से यह पहल भारत की परंपरागत खाद्य विरासत को वैज्ञानिक नियमन और व्यावसायिक अवसरों से जोड़ती है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और उद्योग दोनों को लाभ मिलेगा।

आयुर्वेद आहार क्या है?

  • आयुर्वेद आहार वे पारंपरिक खाद्य उत्पाद हैं, जो प्राचीन ग्रंथों और सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।

  • इनका उद्देश्य व्यक्तिगत पोषण (प्रकृति या शरीर संरचना के अनुसार) प्रदान करना होता है और इन्हें आयुर्वेदिक उपचारों के साथ जोड़ा जा सकता है।

  • नए FSSAI ढांचे के तहत कंपनियां ऐसे खाद्य उत्पादों के निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस प्राप्त कर सकती हैं, बशर्ते वे अनुमोदित फॉर्मुलेशन और सुरक्षा मानकों का पालन करें।

नियमों में नया क्या है?

  • FoSCoS पोर्टल पर आयुर्वेद आहार निर्माताओं के लिए नई KoB (Kind of Business) श्रेणी।

  • 25 जुलाई 2025 को जारी प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों पर आधारित 91 पूर्व-स्वीकृत पारंपरिक व्यंजनों की सूची।

  • उपभोक्ता सहभागिता और शिकायत निवारण के लिए QR कोड एकीकरण

  • आयुष मंत्रालय के साथ सहयोग, ताकि प्रामाणिकता और नियामक अनुपालन दोनों सुनिश्चित हो सकें।

इसका महत्व

यह कदम भारत के आयुर्वेद और स्वास्थ्य-खाद्य क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी है।

  • निर्माताओं के लिए: लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट बनाना।

  • उपभोक्ताओं के लिए: सुरक्षित, प्रामाणिक और उच्च गुणवत्ता वाले आयुर्वेदिक खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना।

  • स्वास्थ्य प्रणाली के लिए: पोषण-आधारित समाधान को आयुर्वेदिक उपचार योजनाओं में शामिल करना।
    FSSAI के अनुसार, यह पहल भारत सरकार के उस लक्ष्य का हिस्सा है, जो पारंपरिक प्रथाओं को वैज्ञानिक प्रमाणों और आधुनिक ढांचे के माध्यम से बढ़ावा देना चाहता है।

उद्योग पर प्रभाव

  • आयुर्वेदिक खाद्य क्षेत्र में स्टार्टअप्स और MSMEs को प्रोत्साहन।

  • खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने से आयुर्वेदिक खाद्य उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा।

  • नवाचार के नए अवसर, भारत की समृद्ध समग्र पोषण परंपरा को व्यावसायिक स्तर पर आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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