भारतीय रिजर्व बैंक ने नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ के तहत सीमापार भुगतान के लिये चार इकाइयों के उत्पादों को व्यावहारिक पाया है। इन उत्पादों का पहले परीक्षण किया जा चुका है। ‘सैंडबॉक्स’ से आशय नये उत्पादों या सेवाओं के नियंत्रित परिवेश में वास्तविक माहौल में परीक्षण से है। सीमित उद्देश्य के लिये होने वाले इस तरह के परीक्षण को लेकर नियामक नियमों में कुछ छूट देता है।
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प्रमुख बिंदु:
- आरबीआई के अनुसार, ये संगठन अब बैंकों और एनबीएफसी सहित विनियमित व्यवसायों को अपने सीमा पार भुगतान समाधान प्रदान कर सकते हैं।
- आरबीआई की उदारीकृत प्रेषण नीति सीमा पार निवेश को कवर करेगी। आरबीआई के अनुसार, विनियमित संस्थाएं उत्पाद का उपयोग करने पर विचार कर सकती हैं यदि यह सभी प्रासंगिक नियामक मानदंडों का अनुपालन करती है।
- निवेशकों को विदेशी शेयरों को प्रभावी ढंग से खरीदने में सक्षम बनाने के लिए, कंपनी हस्तांतरित राशि को अमेरिकी डॉलर जैसे विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर देगी और इसे विदेशी ब्रोकर को भेज देगी।
- दूसरे समूह के बाहर निकलने की घोषणा के अनुसार, नियामक सैंडबॉक्स के तहत परीक्षण के दौरान स्थापित सीमा मानकों के भीतर उत्पाद को व्यवहार्य होने के लिए निर्धारित किया गया है।
- अपने उत्पाद भुगतान के साथ, कैशफ्री पेमेंट्स वर्तमान में भारत में थोक वितरण के लिए उद्योग पर हावी है, जिसमें भुगतान प्रोसेसर के बीच 50% से अधिक बाजार हिस्सेदारी है। SBI ने हाल ही में Cashfree Payments में निवेश किया है।
- कैशफ्री व्यवसाय में Shopify, Wix, Paypal, Amazon Pay, Paytm और Google Pay सहित महत्वपूर्ण प्लेटफार्मों के साथ एकीकरण है। भारत के अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात सहित आठ अन्य देश कैशफ्री भुगतान समाधान का उपयोग करते हैं।
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