पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश और बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति हरजीत सिंह बेदी का गुरुवार शाम 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें जाना जाता है। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को चंडीगढ़ में किया जाएगा।
न्यायिक करियर की मुख्य झलकियां
- कानूनी करियर की शुरुआत (1972):
उन्होंने 1972 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की और विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया। - पंजाब के डिप्टी एडवोकेट जनरल (1983-1987):
राज्य के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में सेवा दी। - पंजाब के एडवोकेट जनरल (1990):
1987 में सीनियर एडवोकेट बनने के बाद इस पद पर नियुक्त हुए। - पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश (1991-1992):
पहले अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में और बाद में स्थायी न्यायाधीश के रूप में सेवा की। - बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (2006):
न्यायिक नेतृत्व का प्रदर्शन किया। - सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश (2007-2011):
2007 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए।
गुजरात मुठभेड़ मामलों में भूमिका
- 2012 में सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति:
उन्हें गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ों की समीक्षा के लिए निगरानी प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया। - जांच:
17 मामलों की जांच की, जिनमें से 3 में आगे की जांच की सिफारिश की।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत
- जन्म:
5 सितंबर, 1946 को हुआ। - पारिवारिक पृष्ठभूमि:
वे न्यायमूर्ति टीक्का जगजीत सिंह बेदी के पुत्र थे, जो पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश रह चुके थे। - परिवार:
उनके परिवार में पत्नी, पुत्र न्यायमूर्ति जसजीत सिंह बेदी, और पुत्रवधू श्रुति बेदी (निदेशक, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज) शामिल हैं।
कानूनी समुदाय की श्रद्धांजलि
- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
- न्यायालय में शुक्रवार को दोपहर 1 बजे के बाद काम स्थगित कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया गया।
- उनके योगदान और न्यायिक कुशलता को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा माना जाएगा।
समाचार का सारांश
मुख्य बिंदु | विवरण |
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क्यों चर्चा में? | पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एच.एस. बेदी का 78 वर्ष की आयु में निधन। उन्होंने 2012 में गुजरात फर्जी मुठभेड़ों की समीक्षा के लिए एससी निगरानी प्राधिकरण की अध्यक्षता की। |
जन्म तिथि | 5 सितंबर, 1946 |
पारिवारिक विरासत | उनके पिता न्यायमूर्ति टीक्का जगजीत सिंह बेदी, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश थे। |
शिक्षा | बिशप कॉटन स्कूल, शिमला में अध्ययन किया; 1962 में सीनियर कैम्ब्रिज पूरा किया। |
कानूनी करियर की शुरुआत | 17 जुलाई, 1972 को पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल में पंजीकरण। |
मुख्य पद | |
– पंजाब के डिप्टी एडवोकेट जनरल (1983-1987) | |
– सीनियर एडवोकेट (1987) | |
– पंजाब के एडवोकेट जनरल (1990) | |
न्यायिक नियुक्तियां | – अतिरिक्त न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (1991) |
– स्थायी न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (1992) | |
– मुख्य न्यायाधीश, बॉम्बे हाई कोर्ट (2006) | |
– सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश (2007-2011) | |
गुजरात मामलों में भूमिका | 2012 में एससी द्वारा निगरानी प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त; 17 फर्जी मुठभेड़ों की समीक्षा की, जिनमें से 3 मामलों में आगे जांच की सिफारिश की। |
सेवानिवृत्ति | 5 सितंबर, 2011 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त। |
परिवार | उनके परिवार में पत्नी, पुत्र न्यायमूर्ति जसजीत सिंह बेदी और पुत्रवधू श्रुति बेदी (निदेशक, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज) शामिल हैं। |
अंतिम संस्कार | चंडीगढ़ में आयोजित। |
संबंधित राज्य (पंजाब) | मुख्यमंत्री: भगवंत मान; राजधानी: चंडीगढ़ |
संबंधित न्यायालय | पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दोपहर 1 बजे के बाद काम स्थगित कर उन्हें सम्मान दिया। |