क्यों है खबर में?
फिच रेटिंग्स ने भारत की मध्यकालीन (मध्यम अवधि) जीडीपी विकास क्षमता को 6.2% से बढ़ाकर 6.4% कर दिया है। यह अपग्रेड劳र बल में भागीदारी में सुधार और महामारी के आर्थिक प्रभावों में कमी के कारण किया गया है। हालाँकि, अन्य कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए फिच ने विकास अनुमानों में कटौती की है, लेकिन भारत ने अपनी दृढ़ता और उत्पादकता में संरचनात्मक परिवर्तन दिखाते हुए अलग पहचान बनाई है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ
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संशोधित विकास अनुमान (FY26): 6.4% (पूर्व में 6.2%)
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प्रमुख कारण: उच्च श्रम बल भागीदारी दर के अनुमान
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तुलनात्मक कमी: श्रम उत्पादकता की धीमी वृद्धि
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कुल कारक उत्पादकता (TFP): दीर्घकालिक औसत 1.5% पर लौटने की उम्मीद
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वैश्विक तुलना: उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए मध्यकालीन औसत वृद्धि घटाकर 3.9% (पूर्व में 4%)
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चीन का अनुमान: 4.6% पर स्थिर, पूंजी निर्माण और संपत्ति बाजार समायोजन की चुनौतियाँ बताई गईं
पृष्ठभूमि
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फिच रेटिंग्स: एक वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी जो आर्थिक पूर्वानुमान और जोखिम आकलन प्रदान करती है।
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मध्यकालीन अनुमान: आमतौर पर 3–5 वर्ष की अवधि के लिए होते हैं और ये चक्रीय या अल्पकालीन उतार-चढ़ाव से अधिक संरचनात्मक संभावनाओं को दर्शाते हैं।
मूल्यांकन के उद्देश्य
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दीर्घकालीन निवेश रुझानों और आर्थिक प्रदर्शन का आकलन करना।
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नीति-निर्माताओं और निवेशकों को मार्गदर्शन प्रदान करना।
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महामारी के बाद श्रम बाजार और उत्पादकता रुझानों की निगरानी करना