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वित्त मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के लिए जारी आर्थिक राहत पैकेज की दी जानकारी: जाने किसे मिलेगा कितना फायदा

वित्त मंत्री ने 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के लिए जारी आर्थिक राहत पैकेज की दी जानकारी: जाने किसे मिलेगा कितना फायदा |_3.1
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने COVID-19 महामारी के बीच प्रधानमंत्री द्वारा 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के लिए की गई आर्थिक राहत पैकेज घोषणा की कल शाम विस्‍तार से जानकारी दी है। इस 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मुख्य उद्देश्य से की गई है।
वित्त मंत्री ने नई दिल्‍ली में आयोजित संवाददाता सम्‍मेलन में भारत सरकार द्वारा हाल ही में किए गए विभिन्न सुधारों का उल्लेख भी किया। इन सुधारों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर; जन धन, आधार, मोबाइल (JAM); प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, माइक्रोफाइनेंस योजना, स्वच्छ भारत मिशन और आयुष्मान भारत योजना आदि शामिल है।
मीडिया को संबोधित करते हुए, उन्होंने बताया कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के लिए 15 उपाय किए जाएंगे : इनमे छह MSMEs के लिए ,दो कर्मचारी भविष्य निधि के लिए , दो NBFC के लिए, दो MFI के लिए, एक डिस्कॉम के लिए, एक रियल स्टेट और तीन कर संबंधित जबकि शेष ठेकेदारों के लिए शामिल है।

“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के लिए किए गए आर्थिक राहत पैकेज के अंतर्गत किए जाने वाले उपायों की मुख्य विशेषताएं:

1. MSMEs के लिए किए जाने वाले उपाय:

  • सभी MSMEs सहित व्यवसायों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का बिना गारंटी आपातकालीन ऋण. जिसका का लाभ 31 अक्टूबर, 2020 तक लिया जा सकता है.
  • यह राहत 25 करोड़ रुपये तक के बकाया ऋण और 100 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली उन इकाइयों के लिए उपलब्ध होगी, जिनके खाते मानक हैं।
  • यह ऋण सुविधा 12 महीनों की छुट के साथ 4 वर्ष की अवधि के लिए होगी।
  • There will be no guarantee fees as well as no fresh collateral required. 
  • बैंकों और एनबीएफसी को मूलधन के साथ-साथ ब्याज पर 100% क्रेडिट गारंटी भारत सरकार द्वारा दी जाएगी.
  •  इन इकाइयों को अपनी ओर से कोई भी गारंटी शुल्क अथवा नई जमानत नहीं देनी होगी.
इन सुधारों से व्यापारिक इकाइयों की व्यावसायिक गतिविधियों को पुनः गति मिलने और नौकरियों को सुरक्षित रखने के लिए 45 लाख व्यापारिक इकाइयों को लाभ मिलने की संभावना है।

2. कर्ज बोझ से दबे MSMEs के लिए:
  • भारत सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये का अप्रधान ऋण देने की घोषणा की है जिससे लगभग 2 लाख MSME को लाभ मिलने की उम्मीद है.
  • कर्ज बोझ से दबे एमएसएमई इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए पात्र होंगे.
  • सरकार ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट (CGTSME) को 4,000 करोड़ रुपये देकर उन्‍हें आवश्‍यक सहयोग देने की घोषणा की है।
  • कर्ज बोझ से दबे MSME को लाभान्वित करने के लिए CGTSME बैंकों को क्रेडिट ऋण गारंटी सहायता प्रदान करेगा.
  • बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस तरह के एमएसएमई के प्रवर्तकों को अप्रधान ऋण प्रदान करेंगे, जो इकाई में उनकी मौजूदा हिस्सेदारी के 15% के बराबर होगा.

3. विकास संभावित और व्यवहार्य एमएसएमई के लिए:

  • ‘एमएसएमई फंड ऑफ फंड्स’ के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी सुलभ कराई जाएगी.
  • सरकार 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना करेगी जो एमएसएमई को इक्विटी फंडिंग सहायता प्रदान करेगा.
  • फंड ऑफ फंड्स का संचालन एक समग्र फंड और कुछ सहायक फंडों के माध्‍यम से होगा.
  • FoF को उम्मीद है कि MSMEs अपनी क्षमता अनुसार आकार को बढ़ाने से इन लाभ मिलेगा.
  • यह एमएसएमई को स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य बोर्ड में सूचीबद्ध होने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा.

4. MSMEs की नई परिभाषा:


निवेश की सीमा बढ़ाकर एमएसएमई की परिभाषा को संशोधित किया गया है। टर्नओवर का एक अतिरिक्त मानदंड भी शामिल किया गया है और साथ ही विनिर्माण और सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्‍टर) के बीच के अंतर को भी समाप्त किया गया।

नई परिभाषा इस प्रकार होगी:

  • सूक्ष्म उद्यम: 1 करोड़ रुपये तक का निवेश और 5 करोड़ रुपये तक का कारोबार.
  • लघु उद्यम: 10 करोड़ रुपये तक का निवेश और 50 करोड़ रुपये तक का कारोबार.
  • मध्यम उद्यम: 20 करोड़ रुपये तक का निवेश और 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार.
5. सरकारी खरीद के लिए, 200 करोड़ रुपये तक के टेंडर अब ग्लोबल टेंडर नहीं माने जाएंगे.



6. MSME के लिए ई-मार्केट लिंकेज को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि वे बाजारों तक पहुंच बना सकें, जो व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों के प्रतिस्थापन के रूप में काम करेगा। सरकार और CPSE की ओर से MSMEs के प्राप्य 45 दिनों में जारी किए जाएंगे।


7. कर्मचारी भविष्य निधि:


सभी ईपीएफ प्रतिष्ठानों के लिए तरलता राहत दी जा रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत भारत सरकार द्वारा नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की ही ओर से वेतन में 12-12% का योगदान पात्र प्रतिष्ठानों के ईपीएफ खातों में किया गया है।

  • EPF योगदान को जून, जुलाई और अगस्त 2020 के वेतन महीनों के लिए 3 माह तक बढ़ाया जाएगा। इसके तहत लगभग 2500 करोड़ रुपये का कुल लाभ 72.22 लाख कर्मचारियों को मिलेगा। .
  • ईपीएफओ द्वारा कवर किए जाने वाले सभी प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को अधिक वेतन देने और नियोक्ताओं को राहत देने के लिए, नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के पीएफ योगदान को अगले 3 महीनों के लिए मौजूदा 12% से घटाकर 10% कर दिया गया है. 
  • हालाँकि भारत सरकार और राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का PF योगदान 12% ही जारी रहेगा.
  • यह उन श्रमिकों के लिए लागू होगा जो पीएम गरीब कल्याण पैकेज और इसके विस्तार के तहत 24% ईपीएफ सहायता के लिए पात्र नहीं हैं।
  • यह 3 महीने में नियोक्ताओं और कर्मचारियों को 6750 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करेगा.

8. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) / हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (HFC) / माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (MFI) के लिए
  • सरकार 30,000 करोड़ रुपये की विशेष तरलता योजना शुरू करेगी, जिसके तहत  NBFCs/HFCs/MFIs के निवेश योग्‍य डेट पेपर में प्राथमिक और द्वितीयक बाजार में होने वाले लेन-देन में निवेश किया जाएगा।.
  • यह तरलता आरबीआई द्वारा प्रदान की जाएगी.
  • इस पर भारत सरकार की ओर से 100 प्रतिशत गारंटी होगी.

9. एनबीएफसी के लिए आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना 2.0


मौजूदा PCGS योजना को संशोधित किया जा रहा है और अब कम रेटिंग वाली एनबीएफसी, एचएफसी और अन्य माइक्रो फाइनेंस संस्‍थानों (एमएफआई) की उधारियों को भी कवर करने के लिए इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।

  • इसमें भारत सरकार 20 प्रतिशत के प्रथम नुकसान की संप्रभु गारंटी प्रदान देगी.
  • इस योजना के तहत, एए पेपर और कम,  रेटिंग वाली इकाइयाँ भी निवेश के लिए पात्र होंगे .
  • इस योजना के परिणामस्वरूप 45,000 करोड़ रुपये की तरलता मिलने की उम्मीद है।
10. विद्युत वितरण कंपनियों (DISCOMS) की सहायता के लिए, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन इसके तहत डिस्‍कॉम में दो समान किस्‍तों में 90000 करोड़ रुपये तक की तरलता सुलभ कराएंगी.
  • इस राशि का उपयोग डिस्‍कॉम की देनदारियों के निर्वहन और उत्‍पादक कंपनियों को उनके बकाये का भुगतान करने में किया जाएगा। 
  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की जनरेशन कंपनियां इस शर्त पर डिस्‍कॉम को छूट देंगी कि यह रियायत अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुँच जाए.

11. ठेकेदारों के लिए राहत:


रेलवे, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और सीपीडब्ल्यूडी जैसी सभी केंद्रीय एजेंसियां ईपीसी और रियायत समझौतों से जुड़े दायित्‍वों सहित अनुबंधात्मक दायित्‍वों को पूरा करने के लिए छह माह तक का समय विस्तार देंगी।

इस विस्तार में निम्नलिखित को कवर किया जाएगा:
  • निर्माण/कार्यो और वस्तु एवं सेवाओं के अनुबंध
  • पीपीपी अनुबंधों में काम पूरा करने के लिए अवधि के विस्तार जैसे दायित्वों में रियायत

12. रियल एस्टेट परियोजनाओं को राहत


रियल एस्टेट डेवलपर्स को राहत देने और परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कुछ उपायों की घोषणा की गई है, ताकि घर खरीदारों को नई समयसीमा के साथ अपने बुक किए गए घरों की डिलीवरी मिल सके। तदनुसार, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय निम्नलिखित प्रभाव के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशो और उनके नियामक अधिकारियों को सलाह देंगे:

  • राज्य सरकारों को यह सलाह दी जा रही है कि वे COVID -19 को ‘RERA’ के तहत अप्रत्‍याशित परिस्थिति या आपदा अनुच्‍छेद का उपयोग करें
  • व्यक्तिगत आवेदन के बिना 25 मार्च, 2020 को या उसके बाद समाप्त होने वाली सभी पंजीकृत परियोजनाओं के लिए पंजीकरण एवं पूर्णता तिथि 6 माह तक बढ़ाई जाएगी.
  • जरूरत पड़ने पर नियामक प्राधिकारी इसे 3 महीने तक की अवधि के लिए बढ़ा सकते हैं
  • संशोधित समयसीमा के साथ स्वचालित रूप से नए ‘प्रोजेक्ट पंजीकरण प्रमाणपत्र’ जारी किए जाएंगे.
  • RERA के तहत विभिन्न प्रतिमा अनुपालन के लिए समयसीमा का विस्तार किया जाएगा.
13. ‘स्रोत पर कर कटौती’ और ‘स्रोत पर संग्रहीत कर ’ (TDS)/Tax Collection और (TCS) rate reduction की दरों में कटौती के माध्यम से 50000 करोड़ रुपये की तरलता
  • निवासियों को होने वाले सभी गैर-वेतनभोगी भुगतान के लिए टीडीएस दरों, और ‘स्रोत पर संग्रहीत कर’ की दर में वित्त वर्ष 2020-21 की शेष अवधि के लिए निर्दिष्ट दरों में 25 प्रतिशत की कमी की जाएगी। 
  • अनुबंध, पेशेवर शुल्क, ब्याज, किराया, लाभांश, कमीशन, ब्रोकरेज, आदि के लिए भुगतान टीडीएस की इस घटी हुई दर के लिए पात्र होगा।
  • यह घटी हुई दर बाकी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए यानी 14 मई, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक लागू होगी.
      14. व्‍यवसाय के लिए कर राहत
      • धर्मार्थ ट्रस्टों एवं गैर-कॉरपोरेट व्यवसायों और प्रोपराइटरशिप, साझेदारी एवं एलएलपी सहित पेशों तथा सहकारी समितियों को लंबित आयकर रिफंड तुरंत जारी किए जाएंगे।

      15. कर संबंधी अन्य उपाय
      • वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सभी आयकर रिटर्न की अंतिम तारीख को 30 नवंबर, 2020 तक बढ़ा दिया गया है, इसी तरह टैक्स ऑडिट की अंतिम तिथि को 31 अक्टूबर 2020 तक बढ़ा दिया जाएगा।
      • 30 सितंबर, 2020 को समाप्त वाले मूल्यांकन की तारीखों को बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2020 कर दिया गया और 31 मार्च, 2021 को समाप्त होने वाली तारीखों को 30 सितंबर, 2021 तक बढ़ा दिया जाएगा।
      • ‘विवाद से विश्वास’ योजना के तहत अतिरिक्त राशि के बिना ही भुगतान करने की तारीख को 31 दिसंबर, 2020 तक बढ़ा दिया गया.