भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने बीते छह महीनों में पारदर्शिता, दक्षता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए 28 महत्वपूर्ण पहलें लागू की हैं। ये सुधार तकनीकी एकीकरण, मतदाता सुविधा, सिस्टम शुद्धिकरण और क्षमता निर्माण तक फैले हुए हैं, जो एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी लोकतंत्र सुनिश्चित करने की आयोग की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हैं।
ये पहलें छह प्रमुख स्तंभों पर आधारित हैं:
हितधारक सहभागिता
निर्वाचन प्रणाली शुद्धिकरण
प्रौद्योगिकी एकीकरण
मतदाता सूची शुद्धिकरण
मतदान की सुविधा
क्षमता निर्माण
हर स्तंभ का उद्देश्य मतदाता विश्वास, प्रशासनिक दक्षता और संस्थागत जवाबदेही को सुदृढ़ करना है।
पूरे देश में 4,700 से अधिक सर्वदलीय बैठकें।
28,000+ पार्टी प्रतिनिधियों की भागीदारी।
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के साथ 20 उच्च स्तरीय बैठकें, सुझाव और सर्वसम्मति निर्माण हेतु।
निष्क्रिय राजनीतिक दलों को सूची से हटाना।
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बीएलओ (Booth Level Officers) के लिए फोटो पहचान पत्र की शुरुआत।
ईवीएम सत्यापन प्रोटोकॉल को मज़बूत करना (माइक्रोकंट्रोलर सत्यापन, सुरक्षा प्रक्रिया)।
ECINET का शुभारंभ – 40+ चुनाव/मतदाता ऐप्स का एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म।
सभी मतदान केंद्रों से 100% वेबकास्टिंग, वास्तविक समय निगरानी हेतु।
रियल-टाइम वोटर टर्नआउट अपडेट, आम जनता और राजनीतिक दलों को उपलब्ध।
डेटा असंगति की स्थिति में VVPAT स्लिप की अनिवार्य गिनती, पारदर्शिता हेतु।
बिहार सहित पाँच राज्यों में विशेष संशोधन।
मृत्यु पंजीकरण डेटाबेस से रीयल-टाइम इंटीग्रेशन, मृत मतदाताओं का नाम हटाने हेतु।
डुप्लीकेट EPIC नंबरों का उन्मूलन।
SMS अलर्ट सेवा, जिससे नागरिकों को 15 दिन में मतदाता पहचान पत्र की जानकारी व डिलीवरी सुनिश्चित।
मतदान केंद्रों के बाहर मोबाइल जमा काउंटर, सुरक्षा व सुविधा के लिए।
प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम सीमा में कमी, भीड़ नियंत्रण हेतु।
अधिक स्पष्टता वाले मतदाता सूचना पर्चे।
प्रत्याशियों को मतदान केंद्र से 100 मीटर दूर बूथ लगाने की अनुमति (ग़ैर-आधिकारिक पहचान पर्ची हेतु)।
7,000+ बीएलओ और पर्यवेक्षकों का प्रशिक्षण (IIIDEM में)।
फील्ड और मतदान कर्मियों के लिए मानदेय व अल्पाहार में वृद्धि।
क्षमता निर्माण का दायरा ब्ला (Booth Level Agents), मीडिया कर्मियों और पुलिस अधिकारियों तक बढ़ाया।
चुनाव आयोग ने आंतरिक संचालन में भी सुधार किए हैं:
चुनावी स्टाफ के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली।
ई-ऑफिस प्रणाली अपनाना, ताकि दस्तावेज़ीकरण और निर्णय तेज़ हो सके।
कई प्रशासनिक कार्यों को IIIDEM में स्थानांतरित करना, ताकि संचालन सुगम बने।
ये सभी कदम चुनाव आयोग की सुशासन और पारदर्शिता का आदर्श मॉडल प्रस्तुत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
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