भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को मज़बूती देने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपनी तीन उन्नत सामग्री (Advanced Materials) प्रौद्योगिकियाँ उद्योग भागीदारों को हस्तांतरित की हैं। ये तकनीकें हैदराबाद स्थित डिफेन्स मेटलर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (DMRL) द्वारा विकसित की गई हैं और इनका उपयोग मिसाइल सिस्टम, डिफेन्स-ग्रेड स्टील उत्पादन तथा नौसैनिक जहाज़ निर्माण में होगा।
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (LAToT) के लाइसेंस एग्रीमेंट 30 अगस्त 2025 को DRDO प्रमुख समीर वी. कामत की अध्यक्षता में सौंपे गए। यह कदम आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) अभियान में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
हस्तांतरित तकनीकें
1. हाई-स्ट्रेंथ रडोम निर्माण तकनीक – BHEL, जगदीशपुर को
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मिसाइल और राडार के सेंसर व ऐन्टेना को ढकने वाले सुरक्षात्मक आवरण (Radome)
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उच्च शक्ति एवं थर्मल रेजिस्टेंस
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वायुगतिकीय प्रदर्शन और स्टेल्थ क्षमता में सुधार
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विदेशी निर्भरता घटाकर स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रमों को मज़बूती
2. DMR-1700 स्टील शीट्स एवं प्लेट्स – JSPL, अंगुल को
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विशेष प्रकार का अत्यधिक मजबूत स्टील
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सामान्य तापमान पर उच्च फ्रैक्चर टफनेस
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आर्मर प्लेटिंग और रक्षा हार्डवेयर में उपयोग
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JSPL रणनीतिक प्रणालियों के लिए इस स्टील का उत्पादन व विस्तार करेगा
3. DMR 249A HSLA स्टील प्लेट्स – BSP (SAIL), भिलाई को
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नौसैनिक जहाज़ निर्माण हेतु हाई-स्ट्रेंथ लो-एलॉय (HSLA) स्टील
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समुद्री जंग (Marine corrosion) और संरचनात्मक तनाव के प्रति प्रतिरोधक
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उच्च गुणवत्ता वाले मानकों के अनुरूप
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अगली पीढ़ी के युद्धपोत निर्माण में सहायक
उद्योग-शोध सहयोग को मज़बूती
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DRDO ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सक्षम कंपनियों को तकनीक सौंपकर देशी उत्पादन को प्रोत्साहित किया
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आयात निर्भरता में कमी
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उच्च स्तर की रक्षा सामग्री तकनीक अब भारतीय उद्योगों के पास
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रक्षा एवं नौसैनिक परियोजनाओं में स्वदेशीकरण की नई दिशा
अतिरिक्त समझौता
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DMRL और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) के बीच MoU पर हस्ताक्षर
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विमानन दुर्घटनाओं की जांच में धातुकर्मीय विश्लेषण (Metallurgical Analysis) के लिए सहयोग
रणनीतिक महत्व
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मेक इन इंडिया (Make in India) अभियान को बल
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स्वदेशी रक्षा उत्पादन और भविष्य की परियोजनाओं की तैयारी
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वाणिज्यिक व सामरिक दोनों उद्देश्यों की पूर्ति
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रक्षा निर्यात में संभावनाओं को बढ़ावा
परीक्षा हेतु त्वरित तथ्य
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विकास प्रयोगशाला: DMRL (DRDO), हैदराबाद
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हस्तांतरित तकनीकें:
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रडोम → BHEL, जगदीशपुर
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DMR-1700 स्टील → JSPL, अंगुल
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DMR 249A HSLA स्टील → BSP (SAIL), भिलाई
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उपयोग क्षेत्र: मिसाइल, रक्षा हार्डवेयर, नौसैनिक जहाज़ निर्माण


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