भारत सरकार ने वरिष्ठ राजनयिक दिनेश के. पटनायक को कनाडा में अपना नया उच्चायुक्त नियुक्त किया है। यह फैसला दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने और नई दिशा देने की महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इसी क्रम में कनाडा ने भी क्रिस्टोफ़र कूटर को भारत में अपना नया राजदूत नियुक्त किया है। यह समानांतर नियुक्तियाँ दोनों देशों के बीच संबंध सुधार की दिशा में अहम कदम हैं।
पृष्ठभूमि: तनावपूर्ण रिश्ते
भारत-कनाडा संबंध 2023 में गंभीर संकट में आ गए थे, जब तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की कथित संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने इन दावों को सख्ती से खारिज किया और दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर उच्च-स्तरीय संवाद रोक दिया।
यह दौर दोनों देशों के इतिहास में सबसे तनावपूर्ण कूटनीतिक चरणों में से एक माना गया।
बदलाव की शुरुआत
2025 की शुरुआत में कनाडा में मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री पद संभाला और कूटनीतिक स्वर नरम होना शुरू हुआ। 17 जून 2025 को कनाडा के कनानास्किस में हुए G7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीएम कार्नी के बीच मुलाकात में द्विपक्षीय रिश्तों को “रचनात्मक पुनर्स्थापन” (Constructive Reset) की दिशा में आगे बढ़ाने पर सहमति बनी।
दिनेश के. पटनायक कौन हैं?
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1990 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी
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स्पेन में भारत के राजदूत
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यूके में उप उच्चायुक्त
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कंबोडिया और मोरक्को में भारत के राजदूत
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भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के महानिदेशक
उनका व्यापक अनुभव और संवेदनशील कूटनीतिक समझ उन्हें कनाडा जैसे जटिल परिदृश्य में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपयुक्त बनाता है।
कनाडा का नया दूत: क्रिस्टोफ़र कूटर
अनुभवी कनाडाई राजनयिक क्रिस्टोफ़र कूटर को भारत में नया दूत नियुक्त किया गया है। कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद ने इस कदम को संबंधों को मज़बूत करने और सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम पहल बताया।
आर्थिक और जनसंपर्क संबंध
राजनीतिक मतभेदों के बावजूद भारत और कनाडा के बीच गहरे आर्थिक और जनसंपर्क संबंध बने रहे —
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भारत, कनाडा में अस्थायी विदेशी कामगारों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है।
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कनाडा भारत को बड़ी मात्रा में कृषि उत्पाद, विशेषकर दालें और मटर, निर्यात करता है।
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द्विपक्षीय व्यापार और निवेश राजनीतिक तनावों के बावजूद जारी रहा, हालांकि धीमी गति से।
राजदूतों की पुनर्नियुक्ति से उम्मीद है कि व्यापार, शिक्षा और प्रवासन नीति में नई ऊर्जा आएगी और दोनों देशों के संबंध एक नए चरण में प्रवेश करेंगे।


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