डालस स्थित बायोटेक कंपनी कोलॉसल बायोसाइंसेज़ ने पहली बार एक विलुप्त प्रजाति को फिर से जीवित करने में सफलता प्राप्त की है — डायर वुल्फ (Dire Wolf), जो लगभग 12,500 साल पहले विलुप्त हो गई थी। आधुनिक डीएनए तकनीक और CRISPR जैसी जीन-संपादन तकनीकों का उपयोग करते हुए, कंपनी ने तीन डायर वुल्फ पिल्लों को जन्म दिया है। यह उपलब्धि “डी-एक्सटिंक्शन” (विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने) के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। कोलॉसल बायोसाइंसेज़ का उद्देश्य केवल विलुप्त जीवों को लौटाना नहीं है, बल्कि जैव-विविधता के संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करने में भी योगदान देना है।
प्रमुख बिंदु
कंपनी:
डालस स्थित बायोटेक्नोलॉजी कंपनी कोलॉसल बायोसाइंसेज़ (Colossal Biosciences) इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे मुख्य भूमिका निभा रही है।
विलुप्त प्रजाति का पुनर्जीवन:
जिस प्रजाति को पुनर्जीवित किया गया है वह है डायर वुल्फ (Canis dirus)—एक विशाल भेड़िया जो प्लाइस्टोसीन युग में उत्तरी अमेरिका में पाया जाता था और लगभग 12,500 वर्ष पहले विलुप्त हो गया था।
जेनेटिक सामग्री का उपयोग:
डीएनए 13,000 वर्ष पुराने एक दांत और 72,000 वर्ष पुराने एक खोपड़ी से निकाला गया। इन नमूनों की मदद से डायर वुल्फ की पूरी जीनोम संरचना का विश्लेषण किया गया।
CRISPR तकनीक:
कंपनी ने CRISPR जीन-संपादन तकनीक का उपयोग करते हुए एक जीवित ग्रे वुल्फ (gray wolf) की कोशिकाओं को संशोधित किया। इन जीन-संपादित कोशिकाओं से भ्रूण बनाए गए, जिन्हें एक पालतू कुतिया के गर्भ में प्रत्यारोपित किया गया।
डायर वुल्फ पिल्लों का जन्म:
इस प्रक्रिया से तीन स्वस्थ पिल्ले जन्मे—
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रोमुलस (नर)
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रेमुस (नर)
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खलीसी (मादा) — जिसका नाम “Game of Thrones” की पात्र के नाम पर रखा गया है।
पारिस्थितिक और नैतिक चिंताएं:
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये जानवर असली डायर वुल्फ नहीं हैं, बल्कि सिर्फ उनकी तरह दिखते हैं। इनकी पारिस्थितिक भूमिका और व्यवहार वही नहीं हो सकते जो मूल प्रजाति के थे।
साथ ही, आधुनिक पारिस्थितिकी तंत्र में इनका जीवित रहना और नैतिकता भी चर्चा का विषय है।
संरक्षण प्रयास:
ये पिल्ले एक 2,000 एकड़ के संरक्षित क्षेत्र में रखे गए हैं, जिसे अमेरिकन ह्यूमेन सोसायटी द्वारा प्रमाणित किया गया है और USDA के साथ पंजीकृत है।
कोलॉसल कंपनी रेड वुल्फ जैसे संकटग्रस्त प्रजातियों के क्लोनिंग प्रयास में भी लगी हुई है।
कोलॉसल की दीर्घकालिक योजना:
कंपनी का उद्देश्य है कि वह अपनी डी-एक्सटिंक्शन तकनीक का उपयोग संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने और वैश्विक जैव विविधता को सुरक्षित करने में करे।
वह ऊन वाले मैमथ (Woolly Mammoth) जैसी अन्य विलुप्त प्रजातियों के पुनर्जीवन पर भी काम कर रही है।
वैज्ञानिक समुदाय में विवाद:
इस दावे को लेकर वैज्ञानिक समुदाय में चिंता है क्योंकि कोई भी शोध पत्र अभी तक पीयर-रिव्यू नहीं हुआ है।
कई जीवविज्ञानी मानते हैं कि केवल जीन-संपादन तकनीक के जरिए विलुप्त प्रजातियों की मूल पारिस्थितिक भूमिका या व्यवहार को दोहराना संभव नहीं है।
सारांश / स्थिर जानकारी | विवरण |
क्यों चर्चा में है? | कोलॉसल बायोसाइंसेज़ ने पहली बार विलुप्त डायर वुल्फ को पुनर्जीवित किया। |
कंपनी | डालस, अमेरिका स्थित बायोटेक कंपनी – Colossal Biosciences |
पुनर्जीवित प्रजाति | डायर वुल्फ (Canis dirus) – लगभग 12,500 वर्ष पूर्व विलुप्त विशाल भेड़िया |
डीएनए स्रोत | 13,000 वर्ष पुराने दांत और 72,000 वर्ष पुराने खोपड़ी से डीएनए निकाला गया |
प्रयुक्त तकनीक | CRISPR जीन-संपादन तकनीक से ग्रे वुल्फ की कोशिकाओं को संशोधित कर भ्रूण तैयार किया गया |
गर्भाधान माध्यम | भ्रूणों को पालतू कुतिया के गर्भ में प्रत्यारोपित किया गया |
जन्मे पिल्ले | 3 पिल्ले – रोमुलस (नर), रेमुस (नर), खलीसी (मादा) (Game of Thrones पात्र के नाम पर) |
संरक्षण स्थान | 2,000 एकड़ संरक्षित क्षेत्र में रखा गया; अमेरिकी ह्यूमेन सोसायटी द्वारा प्रमाणित |
अन्य संरक्षण प्रयास | रेड वुल्फ की क्लोनिंग; जैव विविधता बचाने हेतु तकनीक का प्रयोग |
दीर्घकालिक लक्ष्य | ऊन वाले मैमथ समेत अन्य विलुप्त प्रजातियों का पुनर्जीवन और संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा |
नैतिक/वैज्ञानिक चिंताएं | – ये जानवर असली डायर वुल्फ नहीं हैं, केवल समान दिखते हैं – पीयर-रिव्यू शोध की कमी – पारिस्थितिक व्यवहार दोहराना संभव नहीं |
वैज्ञानिक विवाद | जीवविज्ञानी पुनर्जीवित जानवरों की प्राकृतिक पारिस्थितिकी में भूमिका को लेकर चिंतित हैं |