भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतिष्ठित सदस्य रहे और ब्रिटेन के पहले भारतीय सांसद दादाभाई नौरोजी दक्षिण लंदन के जिस घर में लगभग आठ वर्षों तक रहे, उसे ‘ब्लू प्लैक’ यानी नीली पट्टिका से सम्मानित किया गया है। ‘इंग्लिश हैरिटेज’ चैरिटी की योजना ‘ब्लू प्लैक’ लंदन की ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को दिया जाने वाला एक सम्मान है।
Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams
IBPS PO Notification 2022 Out: Click Here to Download PDF
नौरोजी को यह सम्मान हाल ही में दिया गया और यह ऐसे समय में दिया गया है जब भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। नौरोजी 19वीं सदी के अंत में लगभग आठ वर्षों तक लंदन के इस घर में रहे थे। ‘‘भारतीय राजनीति के पितामाह’’ (ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया) कहलाने वाले नौरोजी ऐसे समय में वाशिंगटन हाउस, 72 एनर्ले पार्क, पेंगे, ब्रोमली रहने गए थे जब वे वैचारिक तौर पर 1897 में भारत की पूर्ण आजादी के समर्थक बन रहे थे।
सात बार इंग्लैंड गए
इंग्लिश हैरिटेज ने एक बयान में कहा, ‘‘नौरोजी सात बार इंग्लैंड गए और लंदन में अपनी जिंदगी का तीन दशक से अधिक का वक्त गुजारा। अगस्त 1897 में वह वाशिंगटन हाउस गए। यहां उनका अधिकांश समय वेल्बी आयोग के सदस्य के रूप में काम करते हुए बीता। इस आयोग को ब्रिटिश सरकार ने भारत में व्यर्थ खर्चों की जांच करने के लिए गठित किया था। यहां रहते हुए ‘पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया’ (1901) शीर्षक से उनकी थ्योरी प्रकाशित हुई थी।’’
दादाभाई नौरोजी
- मुंबई में एक पारसी परिवार में जन्मे नौरोजी भारत और ब्रिटेन दोनों जगह एक प्रभावशाली और बुद्धिजीवी नेता थे।
- उनके अधिकांश काम ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के उनके तथाकथित ड्रेन थ्योरी पर आधारित थे। ड्रेन सिद्धांत ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद की क्लासिक भारतीय राष्ट्रवादी व्याख्या का आधार बनाया।
- वे जुलाई 1892 के आम चुनाव में फिन्सबरी सेंट्रल के उत्तरी लंदन निर्वाचन क्षेत्र के लिए लिबरल टिकट पर चुने गए और ब्रिटेन की संसद में बैठने वाले पहले भारतीय के रूप में इतिहास रच दिया।