क्रिसिल ने चालू वित्तीय वर्ष (FY26) के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया है। यह संशोधन वर्ष की पहली छमाही में उम्मीद से अधिक मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के बाद किया गया है। अनुमान में बढ़ोतरी भारत की लचीली घरेलू मांग, मजबूत निजी उपभोग, और विनिर्माण तथा सेवाओं के मजबूत उत्पादन को दर्शाती है।
यह संशोधन आधिकारिक आँकड़ों के आधार पर किया गया है, जिनके अनुसार FY26 की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2% रही, जबकि पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर) में औसत वृद्धि 8% दर्ज की गई।
क्रिसिल के जीडीपी पूर्वानुमान की मुख्य बातें
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संशोधित FY26 जीडीपी अनुमान: 7% (पहले 6.5%)
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Q2 FY26 वास्तविक जीडीपी वृद्धि: 8.2%
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Q2 नाममात्र जीडीपी वृद्धि: 8.7%, महँगाई में कमी के कारण दर कुछ नरम रही
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FY26 की दूसरी छमाही (H2) के लिए अनुमानित वृद्धि: 6.1%, वैश्विक चुनौतियों के चलते
उर्ध्व संशोधन के प्रमुख कारण
1. मजबूत निजी खपत (Private Consumption)
क्रिसिल के अनुसार जीडीपी वृद्धि में हुई तेजी का मुख्य कारण निजी खपत में उल्लेखनीय उछाल है, जिसे बढ़ावा मिला—
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खाद्य महँगाई में कमी से, जिससे लोगों के हाथ में अतिरिक्त आय उपलब्ध हुई
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GST दरों के तर्कसंगतीकरण से, जिससे वस्तुएँ और सेवाएँ अधिक सस्ती हुईं
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आयकर भार में कमी और अनुकूल ब्याज दर वातावरण से
शहरी क्षेत्रों में, खासकर त्योहारी मौसम के दौरान, विवेकाधीन खर्च में बड़ी बढ़त देखी गई, जिससे रिटेल, हॉस्पिटैलिटी और ट्रांसपोर्ट सेक्टरों को मजबूती मिली।
2. विनिर्माण और सेवाओं का बेहतर प्रदर्शन
आपूर्ति पक्ष से विनिर्माण और सेवाओं दोनों ने मजबूत वृद्धि दर्ज की। इसके पीछे थे—
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वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद निर्यात में सुधार
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सप्लाई चेन का सामान्य होना
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आईटी, वित्तीय और बिज़नेस सेवाओं की बढ़ी हुई मांग
3. नीतिगत समर्थन (Policy Support)
अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ावा मिला—
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RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती से, जिसने क्रेडिट मांग को पुनर्जीवित किया
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सरकार के उच्च पूंजीगत व्यय से, खासकर आधारभूत संरचना और परिवहन क्षेत्रों में
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कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता से, जिससे आयात बिल और महँगाई का दबाव कम हुआ
FY26 की दूसरी छमाही का दृष्टिकोण
हालाँकि पहली छमाही बेहद मजबूत रही, क्रिसिल का अनुमान है कि H2 में वृद्धि लगभग 6.1% तक मध्यम रहेगी। इसके कारण—
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वैश्विक चुनौतियाँ, जैसे अमेरिका द्वारा बढ़े हुए टैरिफ और वैश्विक व्यापार में मंदी
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सरकारी खर्च की रफ्तार का स्थिर होना
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निजी निवेश में धीमी रिकवरी, हालांकि मामूली सुधार संभव
इसके बावजूद, क्रिसिल का मानना है कि मजबूत उपभोग, अनुकूल मौद्रिक नीति और सरकार के समर्थन से बाहरी दबावों का प्रभाव काफी हद तक संतुलित रहेगा।


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