विश्व नारियल दिवस 2 सितंबर 2025 के उपलक्ष्य में केरल स्थित नारियल विकास बोर्ड (CDB) ने किसानों के लिए वित्तीय सहायता में बड़ी वृद्धि की घोषणा की। पौधरोपण, पुनरोपण और प्रौद्योगिकी उन्नयन पर सब्सिडी को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाकर इस पहल का उद्देश्य टिकाऊ नारियल खेती को बढ़ावा देना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।
विश्व नारियल दिवस क्या है?
वैश्विक जागरूकता और उद्योग संवर्धन
विश्व नारियल दिवस हर साल 2 सितंबर को मनाया जाता है ताकि नारियल के पोषण, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। इसकी शुरुआत 2009 में अंतरराष्ट्रीय नारियल समुदाय (ICC) ने संगठन की स्थापना (1969, UN ESCAP के अंतर्गत) की वर्षगांठ के रूप में की थी।
भारत की भूमिका
भारत ICC का संस्थापक सदस्य होने के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े नारियल उत्पादकों में से एक है। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य इसमें अग्रणी हैं। खासकर केरल में यह दिन सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है।
वित्तीय सहायता की घोषणाएँ
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2.5 लाख उच्च गुणवत्ता वाले नारियल पौधे इस वर्ष तैयार किए जाएंगे। प्रति पौधा सहायता राशि ₹4 से बढ़ाकर ₹45 कर दी गई है।
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बूढ़े या अनुपयोगी नारियल वृक्षों को बदलने के लिए पुनरोपण करने वाले किसानों को अब प्रति पौधा ₹350 की सहायता मिलेगी (पहले केवल ₹40 थी)।
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नारियल प्रौद्योगिकी मिशन (Coconut Technology Mission) के अंतर्गत सहायता राशि को छह गुना बढ़ा दिया गया है, जिससे किसानों को लाभ होगा—
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कटाई-पश्चात प्रसंस्करण इकाइयाँ
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मूल्य संवर्धन हेतु ढाँचा
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उत्पादकता सुधार के लिए तकनीकी नवाचार
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यह सहायता नारियल आधारित उत्पादों (जैसे—जूट, नारियल तेल, वर्जिन नारियल तेल, नारियल चीनी, शैल उत्पाद आदि) की बाजार क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी।
मुख्य तथ्य
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पर्व तिथि: 2 सितंबर (प्रति वर्ष)
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आयोजक: अंतरराष्ट्रीय नारियल समुदाय (ICC), 1969 में UNESCAP के तहत स्थापित
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पौध सहायता: ₹4 → ₹45 प्रति पौधा
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पुनरोपण सहायता: ₹40 → ₹350 प्रति वृक्ष
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प्रौद्योगिकी मिशन सहायता: छह गुना वृद्धि
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लक्ष्य: 2025 में 2.5 लाख पौधों का वितरण


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