फिल्म सामग्री की पायरेसी से निपटने और सृजनात्मक उद्योग की सुरक्षा करने के उद्देश्य से 20 जुलाई को राज्यसभा में सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक, 2023 पेश किया गया। अधिकारियों ने बताया कि विधेयक में फिल्मों को वर्तमान ‘यू’, ‘यूए’ और ‘ए’ श्रेणी में वर्गीकृत करने के बजाय उम्र समूह के आधार पर वर्गीकृत करने का भी प्रविधान है। एक विधयेक जिसका उद्देश्य फिल्म सामग्री में चोरी पर अंकुश लगाना और रचनात्मक उद्योग की रक्षा करना है को राज्यसभा में पेश किया गया।
संसद में अनुराग ठाकुर ने पेश किया विधेयक
मणिपुर के हालात पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने उच्च सदन में इस विधेयक को पेश किया। इससे पहले उन्होंने सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक, 2019 वापस लेने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिसकी हंगामे के बीच सदन ने स्वीकृति प्रदान कर दी।
अर्नेस्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पायरेसी की वजह से 2019 में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को करीब 18 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। पायरेसी के इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए, भारत सरकार ने राज्यसभा में सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक 2023 पेश किया है। विधेयक सिनेमैटोग्राफ विधेयक 1952 में संशोधन करना चाहता है, जो भारत में फिल्मों के प्रमाणन और प्रदर्शन को नियंत्रित करता है।
पायरेसी के कारण होता है भारी नुकसान
पेश किए गए नए विधेयक का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि फिल्म सामग्री को पायरेसी के कारण नुकसान न हो क्योंकि इस समस्या से उद्योग को भारी नुकसान होता है। इस विधेयक के जरिये सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1954 में संधोशन का प्रस्ताव है।
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023:
- सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 को पायरेसी की चुनौती से निपटने के उद्देश्य से पेश किया गया था।
- नए विधेयक में फिल्मों को ‘यू’, ‘ए’ या ‘यूए’ की मौजूदा प्रथा के बजाय आयु वर्ग के आधार पर वर्गीकृत करने का भी प्रावधान है। संशोधन में 12 वर्षों के स्थान पर नया वर्गीकरण- “UA-7+”, UA-13+” और “UA-16+” जोड़ने का प्रयास किया गया है।
- यह नया विधेयक विभिन्न प्लेटफार्मों पर फिल्मों और सामग्री के वर्गीकरण में एकरूपता लाने का प्रयास करता है।
- यह विधेयक भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने और स्थानीय सामग्री को वैश्विक बनाने में मदद करने की दिशा में एक “क्रांतिकारी कदम” साबित होगा।