चीन ने सात दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements – REEs) के निर्यात पर नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे पहले से ही अस्थिर वैश्विक व्यापार माहौल में तनाव और बढ़ गया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब अमेरिका ने अपने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों पर नए शुल्क लगाए हैं।चीन लंबे समय से दुर्लभ पृथ्वी खनन और परिशोधन में वैश्विक स्तर पर अग्रणी रहा है, और ये तत्व इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों और सैन्य तकनीकों के निर्माण में बेहद आवश्यक हैं। इन प्रतिबंधों के चलते वैश्विक उद्योगों पर व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है। इससे यह स्पष्ट होता है कि दुनिया के विभिन्न देशों को अब अपने आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और चीनी निर्यात पर निर्भरता कम करने की दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत है।
सैमेरियम (Sm)
गैडोलिनियम (Gd)
टर्बियम (Tb)
डिस्प्रोसियम (Dy)
ल्यूटेथियम (Lu)
स्कैन्डियम (Sc)
इट्रियम (Y)
प्रतिबंध का कारण:
राष्ट्रीय सुरक्षा
अंतरराष्ट्रीय दायित्व
अप्रसार (non-proliferation) से जुड़ी चिंताएँ
17 धात्विक तत्वों का समूह जिनके रासायनिक गुण एक जैसे होते हैं और इनका रंग चांदी जैसा होता है।
इसमें 15 लैंथेनाइड्स, स्कैन्डियम और इट्रियम शामिल होते हैं।
उदाहरण:
नियोडिमियम (Nd), सैमेरियम (Sm), गैडोलिनियम (Gd), डिस्प्रोसियम (Dy), इट्रियम (Y), टर्बियम (Tb), ल्यूटेथियम (Lu) आदि।
गुणधर्म:
उच्च चुंबकीय और ऑप्टिकल गुण
उपयोग:
इलेक्ट्रिक वाहनों और पवन टर्बाइनों के मैग्नेट
डिजिटल डिस्प्ले, रक्षा प्रणालियाँ, स्मार्टफोन, लेजर आदि
प्रमुख उपयोग:
रक्षा तकनीक: जेट, मिसाइल, रडार
हरित ऊर्जा: EVs, सौर पैनल, पवन टरबाइन
उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स: मोबाइल, लैपटॉप
फ़ॉस्फर, चमकदार पदार्थ, मैग्नेट और बैटरी मिश्रधातुओं में उपयोग
वैश्विक REE आपूर्ति का 85–95% हिस्सा अकेले चीन से
सिर्फ खनन नहीं, परिशोधन (refining) और प्रसंस्करण (processing) में भी अग्रणी
प्रमुख भंडार: जियांग्शी, गुआंगडोंग, हुबेई, सिचुआन, इनर मंगोलिया
1990 के दशक से चीन इन्हें “रणनीतिक खनिज” घोषित कर चुका है।
पिछले कदम:
2010: जापान से विवाद के दौरान निर्यात रोक दिया गया
2022: अमेरिका से ट्रेड वॉर के दौरान निर्यात रोकने की धमकी
कीमतों में वृद्धि:
जैसे, डिस्प्रोसियम की कीमत $230 से $300 प्रति किलो तक जा सकती है
आपूर्ति श्रृंखला में बाधा:
ऑफशोर विंड टर्बाइन
इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन
एयरोस्पेस और तकनीकी उद्योग
कुछ देशों के पास भंडारण है, जिससे अल्पकालिक राहत मिल सकती है
लेकिन दीर्घकालिक निर्भरता अब भी अधिक बनी हुई है
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