छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में दूधाधारी मठ में ‘छेरछेरा’ उत्सव मनाया। छत्तीसगढ़ का चेरचेरा त्यौहार ‘पौष’ हिंदू कैलेंडर माह की पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है। यह खेती के बाद फसल को अपने घर ले जाने की खुशी और खुशी का जश्न मनाने के लिए है। मुख्यमंत्री बघेल ने छत्तीसगढ़ के सभी नागरिकों को इस शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।
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प्रमुख बिंदु
- छेरछेरा पर्व का महत्व बताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह दान लेने और देने का त्यौहार है। दान देने से मन में उदारता आती है और दान लेने से व्यक्ति के अंदर अहंकार खत्म हो जाता है।
- पौष माह में पूर्णिमा की रात को चेरचेरा पर्व मनाया जाता है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से याचना की थी।
- लोग फसलों की खेती का जश्न मनाते हैं और एक दूसरे के बीच खुशी बांटते हैं।
- लोग इस दिन धान के साथ हरी सब्जियां भी दान करते हैं।
क्यों मनाया जाता है छेरछेरा?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि किसान अपनी फसल काट कर लाते हैं, तो माना जाता है कि उन पर सभी का अधिकार होता है। छेरछेरा पर लोग किसानों के घर जाते हैं। किसान सभी के अन्नदाता हैं चाहे इंसान हो या पशु पक्षी सभी के भोजन का प्रबंध किसान करता है और यही उदारता दिखाते हुए वह छेरछेरा पर्व के दिन कुछ दान स्वरूप देता।
छत्तीसगढ़ सरकार ने मनाया ‘छेरछेरा’ महोत्सव
छेरछेरा में दान की गई राशि को जनकल्याण में खर्च किया जाता है। किसान समेत हर वर्ग के लोग अनाज दान करते हैं। दान देना उदारता का प्रतीक है और दान ग्रहण करना अहंकार के नाश का प्रतीक है। सरकार ने जानकारी दी है कि राज्य में धान की अच्छी पैदावार हुई है और 85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है. किसानों को तत्काल भुगतान कर दिया गया है।