भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का एलान कर दिया है। पुजारा ने 24 अगस्त को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बात की घोषणा की। पुजारा ने बताया कि वो इंडियन क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से रिटायरमेंट ले रहे हैं। मैदान पर वे न तो चमकदार थे और न ही आक्रामक, लेकिन उनकी शांति, धैर्य और लंबी पारी खेलने की क्षमता ने भारत को कठिन परिस्थितियों में संभालकर रखा।
प्रारंभिक जीवन और क्रिकेट की शुरुआत
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पुजारा का जन्म राजकोट, गुजरात में हुआ।
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उनके पिता भी क्रिकेटर थे और उन्हीं के मार्गदर्शन में उन्होंने प्रशिक्षण लिया।
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बचपन से ही वे क्रिकेट के प्रति गंभीर और मेहनती रहे।
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2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट पदार्पण किया।
क्रिकेट सफर
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खेले: 103 टेस्ट मैच
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कुल रन: 7,195
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शतक: 19
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औसत: 43.60
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भारत के टेस्ट इतिहास में 8वें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।
सबसे बड़ा उपलब्धि: ऑस्ट्रेलिया दौरा (2018–19)
भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीती, और इसका सबसे बड़ा श्रेय पुजारा को जाता है।
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कुल रन: 521
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खेले गए गेंदें: 1,258 (बेहद धैर्य का परिचय)
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शतक: 3
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उनकी शांत और ठोस बल्लेबाज़ी ने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई।
क्यों थे इतने खास?
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राहुल द्रविड़ के बाद भारत के टेस्ट में नंबर-3 स्थान को संभाला।
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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ औसत 49.38, कुल 5 शतक।
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विदेशी पिचों पर शानदार प्रदर्शन कर भारत को कई मैच जिताए।
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उन्होंने सुनील गावस्कर से भी ज्यादा गेंदें खेलीं, जो उनकी धैर्यपूर्ण शैली को दर्शाता है।
संन्यास क्यों खास है?
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पुजारा उन चंद पारंपरिक टेस्ट बल्लेबाजों में से थे जो तेज रन बनाने के बजाय लंबे समय तक डटे रहने और गेंदबाजों को थकाने पर भरोसा करते थे।
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आज के दौर में जहाँ तेज़ स्कोरिंग हावी है, ऐसे बल्लेबाज दुर्लभ हैं।
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उनका संन्यास भारतीय टेस्ट क्रिकेट की एक ‘क्लासिक युग’ के अंत को दर्शाता है।
नई भूमिका
संन्यास के बाद पुजारा अब क्रिकेट कमेंट्री में अपनी सादगी और गहरी समझ से दर्शकों को प्रभावित कर रहे हैं।


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