केंद्र सरकार ने NEET और UGC-NET परीक्षाओं को लेकर विवादों के बीच , एक कठोर एंटी-पेपर लीक कानून प्रस्तुत किया है। 21 जून, 2024 को लागू हुए इस कानून में प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार को रोकने के लिए 10 साल तक की कैद और 1 करोड़ रुपये के जुर्माने सहित गंभीर दंड लगाए गए हैं।
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 नामक नए कानून का उद्देश्य UPSC, SSC और NTA जैसी संस्थाओं द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी को रोकना है। इसमें धोखाधड़ी के लिए न्यूनतम तीन से पांच साल की कैद और संगठित धोखाधड़ी के अपराधों के लिए पांच से दस साल के कारावास के साथ-साथ भारी जुर्माना शामिल है।
पेपर लीक और बाद में UGC-NET 2024 को रद्द करने के आरोपों के बीच कानून का अधिनियमन आता है, जिससे 9 लाख से अधिक उम्मीदवार प्रभावित हुए हैं। विपक्षी कांग्रेस ने समय की आलोचना करते हुए इसे ‘डैमेज कंट्रोल’ बताया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस तरह के लीक को रोकने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया।
NEET और UGC-NET परीक्षाएं विवाद के केंद्र में रही हैं, और CSIR-UGC NET भी इसी तरह के आरोपों का सामना कर रही है। शिक्षा मंत्रालय ने CSIR-UGC NET को जून 25-27, 2024 के लिए निर्धारित किया था, लेकिन डार्क वेब पर लीक के दावों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है। इस घटना से CUET-UG के परिणामों में देरी हो सकती है, जिससे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक के प्रवेश पर असर पड़ सकता है।
आरोपों के बाद सीबीआई ने अज्ञात संदिग्धों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में FIR दर्ज की है। शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए को आगामी परीक्षाओं की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए निवारक उपाय करने का निर्देश दिया है।
इस कानून का कार्यान्वयन केंद्रीय रूप से आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं में पेपर लीक को संबोधित करने की दिशा में पहला बड़ा कदम है। यह परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है, हालांकि इसने महत्वपूर्ण राजनीतिक बहस और आलोचना को जन्म दिया है।
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