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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश को दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परमाणु ऊर्जा विधेयक (Atomic Energy Bill) को मंज़ूरी दे दी है, जो भारत की नागरिक परमाणु ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा कानूनों में संशोधन कर निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनुमति देना है, जो वर्तमान में परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के तहत प्रतिबंधित है। यह सुधार भारत के 2047 तक 100 गीगावॉट (GW) परमाणु क्षमता के दीर्घकालिक लक्ष्य को समर्थन देगा और निवेश, प्रौद्योगिकी साझेदारी तथा परियोजनाओं के तेज़ विकास को प्रोत्साहित करेगा।

पृष्ठभूमि

  • भारत का नागरिक परमाणु क्षेत्र अब तक पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में रहा है।

  • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 परमाणु संयंत्रों के संचालन और ईंधन-चक्र गतिविधियों को केवल केंद्र सरकार की इकाइयों तक सीमित करता है।

  • नागरिक परमाणु क्षति दायित्व (CLND) अधिनियम, 2010 के प्रावधानों के कारण निजी कंपनियाँ दायित्व संबंधी चिंताओं से हिचकिचाती रही हैं।

  • जून में एक उच्च-स्तरीय पैनल रिपोर्ट ने रेखांकित किया कि 100 GW लक्ष्य के लिए भारी तकनीकी और वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी।

संशोधनों का संदर्भ

कैबिनेट द्वारा स्वीकृत विधेयक दो प्रमुख कानूनों में बदलाव प्रस्तावित करता है—

  1. परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962: निजी कंपनियों (और संभावित रूप से राज्य सरकारों) को परमाणु संयंत्र स्थापित करने व संचालित करने की अनुमति।

  2. CLND अधिनियम, 2010: दायित्व से जुड़ी चिंताओं का समाधान, जो विशेषकर विदेशी प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और निवेशकों को रोकती हैं।

ये सुधार क्यों ज़रूरी हैं?

1) मौजूदा प्रतिबंध

  • 1962 का अधिनियम निर्माण और ईंधन-चक्र गतिविधियों को केवल केंद्र सरकार/PSU तक सीमित करता है।

  • इससे क्षमता विस्तार धीमा पड़ा है, क्योंकि—

    • पूंजीगत लागत बहुत अधिक है

    • तकनीक जटिल है

    • ऑपरेटर सीमित हैं (मुख्यतः NPCIL)

2) CLND अधिनियम: निजी कंपनियों के लिए बड़ी बाधा

  • “राइट ऑफ रिकॉर्स” जैसी धाराओं के कारण दायित्व की अस्पष्टता

  • वैश्विक मानकों (जैसे CSC—Convention on Supplementary Compensation) से पूर्ण सामंजस्य का अभाव

निजी क्षेत्र को अनुमति देने का महत्व

निजी भागीदारी से अपेक्षित लाभ—

  • बड़े परमाणु प्रोजेक्ट्स के लिए अधिक पूंजी उपलब्धता

  • निजी विशेषज्ञता से तेज़ निर्माण और बेहतर दक्षता

  • वैश्विक प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्ताओं का प्रवेश

  • 2047 तक 100 GW लक्ष्य की प्राप्ति में गति

  • संबद्ध क्षेत्रों का विस्तार, जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का खनन और परमाणु ईंधन निर्माण

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय दायित्व मानकों के अनुरूप नियम बनाना वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए आवश्यक है।

मुख्य बिंदु

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागरिक परमाणु क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने वाले परमाणु ऊर्जा विधेयक को मंज़ूरी दी।

  • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और CLND अधिनियम, 2010 में संशोधन का प्रस्ताव।

  • 2047 तक 100 GW परमाणु क्षमता के लक्ष्य को समर्थन।

  • दायित्व संबंधी चिंताओं का समाधान कर विदेशी निवेश और आपूर्तिकर्ताओं को आकर्षित करने का प्रयास।

  • स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) और उन्नत तकनीकों के विकास को बढ़ावा।

  • लाइसेंस के तहत निजी कंपनियों को परमाणु संयंत्र संचालित करने की अनुमति।

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