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केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में 8,146 करोड़ रुपये की टाटो-II जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के शि योमी ज़िले में 700 मेगावाट की तातो-II जलविद्युत परियोजना (HEP) के निर्माण हेतु 8,146.21 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। इस परियोजना के 72 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। यह परियोजना क्षेत्र की बिजली आपूर्ति को मज़बूत करेगी, राष्ट्रीय ग्रिड को सुदृढ़ बनाएगी और देश के सबसे दूरस्थ ज़िलों में से एक में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।

परियोजना का अवलोकन

टाटो-द्वितीय जलविद्युत परियोजना की स्थापित क्षमता 700 मेगावॉट होगी, जिसे 175 मेगावॉट की 4 इकाइयों में विभाजित किया जाएगा, और इससे हर साल 2,738.06 मिलियन यूनिट (MU) स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा। परियोजना का क्रियान्वयन नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEEPCO) और अरुणाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उद्यम के रूप में किया जाएगा।

भारत सरकार ₹458.79 करोड़ की बजटीय सहायता से सड़कों, पुलों और ट्रांसमिशन लाइनों जैसी आधारभूत संरचनाओं का विकास करेगी। इसके अतिरिक्त, राज्य की इक्विटी हिस्सेदारी के लिए ₹436.13 करोड़ की केंद्रीय वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।

आर्थिक और सामाजिक लाभ

राजस्व और स्थानीय लाभ

अरुणाचल प्रदेश को 12% मुफ्त बिजली और स्थानीय क्षेत्र विकास कोष (LADF) के लिए 1% अतिरिक्त बिजली प्राप्त होगी, जिससे सीधे सामुदायिक कल्याण और स्थानीय विकास परियोजनाओं को वित्तपोषण मिलेगा।

रोज़गार और MSME को बढ़ावा

यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है और स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं, MSME और उद्यमों के लिए बड़े अवसर प्रदान करेगी। निर्माण और संचालन चरण के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।

आधारभूत संरचना का विकास

सड़कें और संपर्क

कुल 32.88 किलोमीटर लंबी सड़कें और पुल बनाए जाएंगे, जिनका अधिकांश हिस्सा स्थानीय जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।

सामाजिक अवसंरचना

₹20 करोड़ के विशेष कोष से अस्पताल, स्कूल, बाज़ार और खेल मैदान जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी, जिससे परियोजना क्षेत्र में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

रणनीतिक महत्व

टाटो-द्वितीय जलविद्युत परियोजना ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है। यह राष्ट्रीय ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा के संतुलन के लिए महत्वपूर्ण होगी। परियोजना स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी, पूर्वोत्तर क्षेत्र की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ बनाएगी और दूरस्थ ज़िलों को राष्ट्रीय आर्थिक ढांचे से जोड़ने में मदद करेगी।

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