प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 26 नवंबर 2025 को 7280 करोड़ रुपये की ‘रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना’ को मंजूरी दी। यह योजना सिन्टर्ड Rare Earth Permanent Magnets (REPMs) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। भारत में यह अपनी तरह की पहली पहल है, जो एक इंटीग्रेटेड REPM निर्माण इकोसिस्टम स्थापित करेगी। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी, हाई-टेक उद्योगों को मजबूती मिलेगी और देश के नेट जीरो 2070 लक्ष्य को समर्थन मिलेगा।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अपनी तरह की इस पहली पहल का मकसद भारत में 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) की इंटीग्रेटेड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) मैन्युफैक्चरिंग स्थापित करना है। इससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और भारत ग्लोबल REPM मार्केट में एक अहम खिलाड़ी के तौर पर अपनी जगह बना सकेगा। इस योजना का कुल खर्च 7280 करोड़ रुपये है। इसमें पांच (5) वर्षों के लिए आरईपीएम बिक्री पर 6450 करोड़ रुपये के बिक्री-लिंक्ड प्रोत्साहन और कुल 6000 एमटीपीए आरईपीएम विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए 750 करोड़ रुपये की पूंजी सब्सिडी शामिल है।
रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPMs) क्या होते हैं?
REPMs दुनिया के सबसे शक्तिशाली परमानेंट मैग्नेट्स में शामिल हैं। इनका उपयोग आधुनिक तकनीकों में बड़े पैमाने पर होता है, जैसे—
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इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)
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पवन टरबाइन व अन्य नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियाँ
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एयरोस्पेस और रक्षा उपकरण
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औद्योगिक स्वचालन (Automation)
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उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स
भारत अभी लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर है, विशेषकर चीन से। यह नई योजना इस सामरिक क्षेत्र में स्वदेशी क्षमता विकसित करने की दिशा में निर्णायक कदम है।
₹7,280 करोड़ REPM योजना की प्रमुख विशेषताएँ
1. उद्देश्य
भारत में 6,000 MTPA (Metric Tons Per Annum) सिन्टर्ड REPMs का उत्पादन क्षमता स्थापित करना। इसमें संपूर्ण मूल्य श्रृंखला शामिल है—
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Rare Earth Oxides से Metals में रूपांतरण
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Metals से हाई-परफॉर्मेंस Alloy
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Alloy से तैयार REPMs
2. वित्तीय संरचना
योजना की कुल लागत: ₹7,280 करोड़, जिसमें—
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₹6,450 करोड़: बिक्री-आधारित प्रोत्साहन (Sales-linked incentives) — 5 वर्षों में
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₹750 करोड़: पूंजी सब्सिडी (Capital subsidy) — प्लांट स्थापित करने के लिए
3. लाभार्थी चयन
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कुल क्षमता 5 कंपनियों में विभाजित होगी।
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प्रत्येक कंपनी को 1,200 MTPA तक क्षमता आवंटित की जाएगी।
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चयन वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया (Global Competitive Bidding) के माध्यम से होगा।
4. योजना अवधि
कुल अवधि: 7 वर्ष
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पहले 2 वर्ष: आधारभूत संरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) स्थापित करने के लिए
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अगले 5 वर्ष: बिक्री आधारित प्रोत्साहन दिए जाएंगे
हाई-टेक विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है। इसका उद्देश्य EVs, ड्रोन, रक्षा प्रणालियों और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण घटकों में आयात निर्भरता समाप्त करना है।
भारत में पहली बार पूरी तरह एकीकृत REPM निर्माण क्षमता विकसित होगी, जिससे देश की तकनीकी क्षमताएँ और सप्लाई चेन मजबूती पाएंगी।
रणनीतिक क्षेत्रों को सीधा लाभ
REPMs की घरेलू आपूर्ति से कई सेक्टर लाभान्वित होंगे—
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इलेक्ट्रिक मोबिलिटी: EV मोटर्स के लिए
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रक्षा और एयरोस्पेस: रडार, मिसाइल, एयरक्राफ्ट आदि
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नवीकरणीय ऊर्जा: पवन टरबाइन की दक्षता में वृद्धि
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उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स: हेडफोन, स्पीकर, हार्ड ड्राइव आदि
स्थिर तथ्य
| विवरण | तथ्य |
|---|---|
| योजना का नाम | सिन्टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट निर्माण प्रोत्साहन योजना |
| मंजूरी तिथि | 26 नवंबर 2025 |
| कुल खर्च | ₹7,280 करोड़ |
| प्रोत्साहन संरचना | ₹6,450 करोड़ (बिक्री आधारित) + ₹750 करोड़ (पूंजी सब्सिडी) |
| उत्पादन लक्ष्य | 6,000 MTPA सिन्टर्ड REPMs |
| लाभार्थी कंपनियाँ | 5 |
| योजना अवधि | 7 वर्ष (2 वर्ष स्थापना + 5 वर्ष प्रोत्साहन) |


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