सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स (C-DOT) ने IIT मंडी और IIT जम्मू के साथ मिलकर अत्याधुनिक टेलीकम्युनिकेशन तकनीक के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सहयोग वाइडबैंड स्पेक्ट्रम-सेंसर ASIC-चिप के विकास के लिए हुआ है। इस परियोजना का उद्देश्य स्पेक्ट्रम उपयोग को बेहतर बनाना और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में प्रभावी ब्रॉडबैंड सेवाओं को सुनिश्चित करना है। यह परियोजना टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TTDF) योजना के तहत आती है और आत्मनिर्भर भारत व मेक-इन-इंडिया के दृष्टिकोण का समर्थन करती है।
मुख्य बिंदु
परियोजना और लक्ष्य
- वाइडबैंड स्पेक्ट्रम-सेंसर ASIC-चिप का विकास, स्पेक्ट्रम दक्षता को बढ़ाने के लिए।
- वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसिंग के लिए हार्डवेयर-फ्रेंडली कम्युनिकेशन एल्गोरिदम को डिजाइन करना।
- 2 GHz बैंडविड्थ से ऊपर के स्पेक्ट्रम का उपयोग करके कम उपयोग वाले बैंड या व्हाइट स्पेस को लक्षित करना।
- ग्रामीण भारत में ब्रॉडबैंड पहुंच को स्पेक्ट्रम होल्स का उपयोग करके बेहतर बनाना।
तकनीकी नवाचार
- स्पेक्ट्रम सेंसिंग, कॉग्निटिव रेडियो को पर्यावरण के अनुकूल बनाता है और प्राथमिक नेटवर्क को प्रभावित किए बिना काम करता है।
- कुशल हार्डवेयर आर्किटेक्चर का विकास, जिसमें शामिल हैं:
- कम सेंसिंग समय
- उच्च डेटा थ्रूपुट
- उन्नत हार्डवेयर दक्षता
- FPGA वातावरण में डिजाइनों का प्रारंभिक अनुकरण, उसके बाद ASIC सेमीकंडक्टर चिप का विकास।
- 6 GHz सैटेलाइट बैंड (5.925–7.125 GHz) के लिए वाइडबैंड कॉग्निटिव रेडियो मॉड्यूल का प्रदर्शन।
प्रमुख लाभ
- कॉग्निटिव रेडियो नेटवर्क की थ्रूपुट को बढ़ावा देना।
- संचार प्रणालियों के लिए स्पेक्ट्रम उपयोग दक्षता को बेहतर बनाना।
- डायनेमिक स्पेक्ट्रम एक्सेस तकनीक के लिए बौद्धिक संपदा (IP) का निर्माण।
- भारत सेमीकंडक्टर मिशन के उद्देश्यों के साथ संरेखित।
समर्थन योजनाएं और दृष्टि
- इस परियोजना को दूरसंचार विभाग (DoT) के TTDF योजना के तहत वित्त पोषित किया गया है।
- मेक-इन-इंडिया पहल और आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण का समर्थन।
- भारत में डिजिटल विभाजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
समझौता समारोह के प्रमुख प्रतिभागी
- डॉ. राज कुमार उपाध्याय, सीईओ, C-DOT
- डॉ. राहुल श्रेष्ठ, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, IIT मंडी
- डॉ. रोहित बी. चौरसिया, सह-अन्वेषक, IIT जम्मू
- डॉ. पंकज कुमार दलेला और सुश्री शिखा श्रीवास्तव, निदेशक, C-DOT
अधिकारियों के वक्तव्य
- डॉ. उपाध्याय: स्वदेशी स्पेक्ट्रम सेंसिंग तकनीकों के महत्व को रेखांकित किया।
- डॉ. श्रेष्ठ और डॉ. चौरसिया: डायनेमिक स्पेक्ट्रम एक्सेस तकनीक और अनुसंधान अवसंरचना में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की।
| सारांश/स्थिर | विवरण |
| क्यों चर्चा में? | C-DOT और IIT मंडी वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसर चिप विकसित करेंगे। |
| परियोजना | वाइडबैंड स्पेक्ट्रम-सेंसर ASIC-चिप का विकास। |
| संस्थान शामिल | C-DOT, IIT मंडी, IIT जम्मू। |
| समर्थन योजना | टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TTDF)। |
| उद्देश्य | स्पेक्ट्रम उपयोग को बढ़ाना और ग्रामीण भारत में ब्रॉडबैंड प्रदान करना। |
| प्रौद्योगिकी फोकस | 2 GHz से ऊपर वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसिंग। |
| मुख्य लाभ | स्पेक्ट्रम दक्षता में सुधार, कॉग्निटिव रेडियो थ्रूपुट में बढ़ोतरी। |
| लक्ष्य बैंड | 6 GHz सैटेलाइट बैंड (5.925–7.125 GHz)। |
| राष्ट्रीय मिशन समर्थित | मेक-इन-इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन। |
| महत्व | डिजिटल खाई को पाटना और स्वदेशी टेलीकॉम प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना। |


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