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ब्रिक्स ने रियो शिखर सम्मेलन में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की

ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो में 6–7 जुलाई 2025 को आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने एकजुट होकर “रियो घोषणा पत्र” को अपनाया। इस दौरान ब्रिक्स देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और आतंकवाद के प्रति भारत के “शून्य सहिष्णुता” (Zero Tolerance) के आह्वान का समर्थन किया। शिखर सम्मेलन में वैश्विक सुधारों की तात्कालिक आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। यह सम्मेलन सुरक्षा, वैश्विक न्याय और समावेशिता जैसे मुद्दों पर ब्रिक्स देशों की बढ़ती एकता को दर्शाता है।

ब्रिक्स ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की

ब्रिक्स देशों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को मानवता के खिलाफ अपराध बताया और इसकी कड़ी निंदा की। सदस्य राष्ट्रों ने आतंकवाद के प्रति भारत की “शून्य सहिष्णुता” (Zero Tolerance) की नीति का स्पष्ट समर्थन किया।

रियो घोषणा पत्र में कहा गया कि सीमापार आतंकवाद, आतंकी फंडिंग और आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों का वैश्विक स्तर पर विरोध होना चाहिए और इसमें कोई दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए। साथ ही, ब्रिक्स ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक देश की यह प्रमुख जिम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र के भीतर आतंकवाद को रोके, और यह कार्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत किया जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में बोलते हुए सभी नेताओं का समर्थन के लिए धन्यवाद किया और आतंकवाद के खिलाफ कड़े वैश्विक कदमों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि ग्लोबल साउथ, जिसमें भारत भी शामिल है, अक्सर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनाए गए दोहरे मापदंडों का सबसे बड़ा शिकार रहा है।

वैश्विक सुधारों के लिए पीएम मोदी की मजबूत पहल

17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (6–7 जुलाई 2025, रियो डी जेनेरियो, ब्राज़ील) के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में असमान वैश्विक व्यवस्था पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आज भी दुनिया के कई देश, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ (अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका) के राष्ट्र, महत्वपूर्ण वैश्विक निर्णयों से बाहर रखे जाते हैं।

मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में तत्काल सुधार की मांग की। उन्होंने इन संस्थाओं की तुलना AI के युग में टाइपराइटर से की और कहा कि जब तक वोटिंग अधिकारों, नेतृत्व भूमिकाओं और शासन ढांचे में बदलाव नहीं होंगे, ये संस्थाएँ पुरानी और अप्रभावी बनी रहेंगी।

प्रधानमंत्री ने ज़ोर दिया कि आज भी विश्व की दो-तिहाई आबादी को, विशेषकर अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में, वैश्विक संस्थानों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। यह केवल न्याय का मुद्दा नहीं है, बल्कि इन संस्थाओं को अधिक प्रभावी और विश्वसनीय बनाने का प्रश्न भी है।

इस शिखर सम्मेलन में नए सदस्यों का स्वागत, और स्वास्थ्य, जलवायु और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में नई पहलें शुरू की गईं। ब्रिक्स नेताओं ने एक समावेशी, न्यायपूर्ण और टिकाऊ विश्व व्यवस्था बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई और वैश्विक सुधारों पर एकजुट रुख अपनाया।

न्यायपूर्ण विश्व के लिए एकजुट हुआ ब्रिक्स

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 में नेताओं ने “रियो डी जेनेरियो घोषणा पत्र” को अपनाया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसी वैश्विक संस्थाओं में बदलाव की मांग की गई। नेताओं ने कहा कि इन संस्थाओं को अधिक न्यायपूर्ण, लोकतांत्रिक और आज की दुनिया के अनुरूप होना चाहिए।

नेताओं ने निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई:

  • राजनीति और सुरक्षा

  • अर्थव्यवस्था और व्यापार

  • संस्कृति और जन-से-जन संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि ग्लोबल साउथ (एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देश) को वैश्विक निर्णयों में बड़ी भागीदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि पुरानी संस्थाओं को आधुनिक चुनौतियों के अनुसार अपडेट करना अब समय की मांग है।

नए सदस्य और बड़ी पहलें

इस वर्ष का शिखर सम्मेलन खास रहा क्योंकि इंडोनेशिया आधिकारिक रूप से ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बन गया। साथ ही बेलारूस, नाइजीरिया, क्यूबा और वियतनाम सहित 11 नए देश ब्रिक्स साझेदार के रूप में शामिल हुए। यह विस्तार ब्रिक्स के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और समर्थन को दर्शाता है।

ब्रिक्स नेताओं ने तीन नई पहलें भी घोषित कीं:

  1. ब्रिक्स जलवायु वित्त ढांचा (BRICS Climate Finance Framework)
    – पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।

  2. वैश्विक एआई शासकीय वक्तव्य (Global AI Governance Statement)
    – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुरक्षित और न्यायपूर्ण उपयोग के लिए दिशा-निर्देश।

  3. सामाजिक रूप से निर्धारित रोगों को समाप्त करने की साझेदारी
    – गरीबी और असमानता से जुड़े स्वास्थ्य संकटों से लड़ने के लिए साझा प्रयास।

विकासशील देशों के लिए मजबूत वैश्विक आवाज

ब्रिक्स नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), विश्व बैंक (World Bank) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी वैश्विक संस्थाओं में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं को विकासशील देशों की जरूरतों और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करना चाहिए। नेताओं ने निम्नलिखित बातों की मांग की:

  • न्यायपूर्ण मतदान अधिकार (Fairer Voting Rights)

  • महिलाओं और विभिन्न क्षेत्रों को नेतृत्व में समान भागीदारी

  • शक्तिशाली देशों द्वारा लगाए जाने वाले अनुचित प्रतिबंधों का अंत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ओर से समावेशी बहुपक्षीयता (Inclusive Multilateralism) का समर्थन किया, जिसमें हर देश — बड़ा हो या छोटा — वैश्विक निर्णयों में अपनी भूमिका निभा सके

शांति, सुरक्षा और डिजिटल भरोसा

ब्रिक्स नेताओं ने वैश्विक शांति और सुरक्षा पर भी चर्चा की।

  • उन्होंने कहा कि संघर्षों का समाधान संवाद से होना चाहिए, हिंसा से नहीं

  • नेताओं ने आतंकवाद, आम नागरिक ढांचे की बर्बादी, और हानिकारक व्यापारिक कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की।

डिजिटल दुनिया के संदर्भ में ब्रिक्स ने सहमति व्यक्त की कि:

  • साइबर सुरक्षा के लिए वैश्विक नियम तैयार किए जाएं

  • ऑनलाइन अपराधों को रोका जाए

  • इंटरनेट को खुला, सुरक्षित और स्थिर बनाए रखा जाए

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