संसद ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक, 2016 को पारित किया, जो मानसिक बीमारी वाले लोगों को स्वास्थ्य देखभाल और सेवाएं प्रदान करता है और आत्महत्या को भी दोषमुक्त करता है.
अगस्त 2016 में राज्यसभा द्वारा यह विधेयक पारित किया गया था और हाल ही में इसे लोकसभा में भी स्वीकृति मिली. आत्महत्या का खंडन करने वाली धाराओं में, बिल में कहा गया है कि जो व्यक्ति आत्महत्या करने का प्रयास करता है, उसे गंभीर तनाव होने का अनुमान लगाया जाना चाहिए, और उसे दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
सरकार राष्ट्रीय स्तर पर एक केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण स्थापित करेगी और हर राज्य में एक राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण स्थापित करेगी. मानसिक हेल्थकेयर विधेयक के अंतर्गत, प्रावधानों का उल्लंघन करने की सजा छह महीने तक जेल या 10,000 रु या दोनों होगी.
उपरोक्त समाचार से परीक्षा उपयोगी तथ्य :
- संसद ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक, 2016 पारित किया.
- प्रावधानों का उल्लंघन करने की सजा छह महीने तक जेल या 10,000 रु या दोनों होगी.
- बिल में कहा गया है कि जो व्यक्ति आत्महत्या करने का प्रयास करता है, उसे गंभीर तनाव होने का अनुमान लगाया जाना चाहिए, और उसे दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
स्रोत – दि हिन्दू