अंतरराज्यीय नदी जल विवाद संशोधन विधेयक-2017 कल (14 मार्च 2017) को लोकसभा में पेश किया गया. नये विधेयक का उददेश्य नदी जल विवाद को निपटाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के साथ-साथ मौजूदा कानूनी प्रणाली को और मजबूत बनाना है.
जल संसाधन और नदी विकास मंत्री उमा भारती ने ये विधेयक सदन में प्रस्तुत किया. न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष, एक उप-अध्यक्ष होंगे और छह अन्य सदस्यों से अधिक सदस्य नहीं होंगे.
जल संसाधन और नदी विकास मंत्री उमा भारती ने ये विधेयक सदन में प्रस्तुत किया. न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष, एक उप-अध्यक्ष होंगे और छह अन्य सदस्यों से अधिक सदस्य नहीं होंगे.
विवाद के निपटान के लिए कुल समय अवधि अधिकतम साढ़े चार वर्ष तय की गई है. राज्यों द्वारा पानी की मांग में वृद्धि के कारण अंतर-राज्यीय नदी के पानी के विवाद बढ़ रहे हैं और इसीलिए इससे संबंधित कानून आवश्यक हो गया था.
स्रोत – आल इंडिया रेडियो (AIR News)