बिसलेरी इंटरनेशनल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के साथ ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 प्रोग्राम’ के तहत एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य भारत के ऐतिहासिक स्थलों पर जल निकायों के पुनरोद्धार और संरक्षण को बढ़ावा देना है। यह पहल बिसलेरी के CSR कार्यक्रम ‘नई उम्मीद’ का हिस्सा है, जो जल संरक्षण और धरोहर संरक्षण को एक साथ जोड़ता है। इस परियोजना की शुरुआत चार ऐतिहासिक जल निकायों के पुनरोद्धार से होगी, जिससे पारिस्थितिक पुनरुद्धार को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्य बिंदु:
साझेदारी और उद्देश्य:
- बिसलेरी और ASI ने ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 प्रोग्राम’ के तहत ऐतिहासिक स्थलों पर जल संरक्षण के लिए साझेदारी की है।
- यह परियोजना पर्यावरणीय पुनर्स्थापन और सतत विकास लक्ष्यों से मेल खाती है।
- यह पहल बिसलेरी के ‘नई उम्मीद’ CSR कार्यक्रम के अंतर्गत आती है, जो जल संरक्षण पर केंद्रित है।
पुनरोद्धार के लिए चयनित ऐतिहासिक जल निकाय:
प्रारंभिक चरण में चार महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जल निकायों को पुनर्जीवित किया जाएगा—
- चांद बावड़ी (आभानेरी, राजस्थान)
- नीमराना की बावड़ी (राजस्थान)
- पद्मा और रानी तालाब (रणथंभौर किला, राजस्थान)
- बुद्धा-बुढ़ी तालाब (कालिंजर किला, उत्तर प्रदेश)
संरक्षण और पुनरोद्धार योजना:
- गाद और मलबे की सफाई: जल निकायों से जमा हुई गाद और कचरे को हटाना।
- पारिस्थितिक पुनरुद्धार: जैव विविधता को बढ़ाना और जल की गुणवत्ता सुधारना।
- पर्यावरणीय सौंदर्यीकरण: आस-पास के क्षेत्रों का सौंदर्यीकरण कर पर्यटन अनुभव को बेहतर बनाना।
- सूचनात्मक साइनबोर्ड: पर्यटकों और स्थानीय समुदायों के लिए ऐतिहासिक और पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाना।
- चरणबद्ध क्रियान्वयन: धरोहर स्थलों की संरचनात्मक अखंडता बनाए रखते हुए न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ कार्य करना।
बिसलेरी नेतृत्व की प्रतिक्रिया:
बिसलेरी इंटरनेशनल के CEO, एंजेलो जॉर्ज ने कहा कि यह सहयोग बिसलेरी की सतत विकास और धरोहर संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने इसे पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जिससे ऐतिहासिक जल निकायों को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके।
प्रभाव और महत्व:
- यह परियोजना सांस्कृतिक और पारिस्थितिक धरोहर को पुनर्जीवित करेगी, जिससे ये स्थल अधिक सुलभ और टिकाऊ बनेंगे।
- यह स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाने में मदद करेगा।
- भारत की दीर्घकालिक पर्यावरणीय और सांस्कृतिक संरक्षण पहलों को मजबूती प्रदान करेगा।
सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | बिसलेरी और ASI ने मिलकर विरासत जल निकायों के पुनरोद्धार के लिए समझौता किया |
साझेदारी | बिसलेरी इंटरनेशनल और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) |
कार्यक्रम | ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0’ और बिसलेरी का CSR अभियान ‘नई उम्मीद’ |
उद्देश्य | ऐतिहासिक स्थलों पर पुरातन जल निकायों का पुनरोद्धार और संरक्षण |
पुनरोद्धार के लिए चयनित जल निकाय | चांद बावड़ी (आभानेरी), नीमराना की बावड़ी, पद्मा और रानी तालाब (रणथंभौर किला), बुद्धा-बुढ़ी तालाब (कालिंजर किला) |
संरक्षण गतिविधियाँ | गाद और मलबे की सफाई, पारिस्थितिक पुनरोद्धार, सौंदर्यीकरण, सूचना पट्टों की स्थापना |
क्रियान्वयन रणनीति | चरणबद्ध रूप से कार्यान्वयन, जिससे धरोहर स्थलों की संरचनात्मक अखंडता बनी रहे |
अपेक्षित प्रभाव | पर्यटन में वृद्धि, पारिस्थितिक संतुलन, जल संरक्षण और धरोहर संरक्षण को बढ़ावा |
बिसलेरी की दृष्टि | जल संरक्षण और पर्यावरणीय सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली स्थायी पहल |