भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक तीन नवंबर से शुरू हुई अपनी आठ दिवसीय भारत यात्रा के तहत दिल्ली पहुंचे। हवाई अड्डे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गर्मजोशी से उनकी अगवानी की। यह भारत द्वारा उनकी यात्रा को दिए जा रहे महत्व को रेखांकित करता है। वांगचुक की भारत यात्रा भूटान और चीन द्वारा अपने दशकों पुराने सीमा विवाद के शीघ्र समाधान के लिए नए सिरे से की जा रही कोशिश के बीच हो रही है।
वांगचुक की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भूटान और चीन दशकों पुराने सीमा विवाद को जल्द सुलझाने पर जोर दे रहे हैं। भारत, भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर होने वाली बातचीत पर करीबी नजर रख रही है, क्योंकि इसका असर भारत के सुरक्षा हितों पर पड़ सकता है, खासकर डोकलाम ट्राई जंक्शन पर।
आठ दिवसीय यात्रा पर हैं भूटान नरेश
भारत, भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत पर करीबी नजर रख रहा है। इसका भारत के सुरक्षा हितों पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर डोकलाम क्षेत्र में। वांगचुक की भारत की आठ दिवसीय यात्रा तीन नवंबर को गुवाहाटी से शुरू हुई।
भूटान नरेश की यात्रा है काफी महत्वपूर्ण
विदेश मंत्रालय ने दो नवंबर को कहा था कि भूटान नरेश की यात्रा दोनों पक्षों को द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण आयाम की समीक्षा करने और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी। पिछले महीने, भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बातचीत की थी।
भूटान दृढ़ता से एक-चीन के सिद्धांत का समर्थन
वार्ता के बाद चीन द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि भूटान दृढ़ता से एक-चीन के सिद्धांत का समर्थन करता है और सीमा मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए चीन के साथ काम करने और राजनयिक संबंध स्थापित करने की राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। चीन और भूटान ने अगस्त में अपने सीमा विवाद का समाधान करने के लिए तीन चरणीय रूपरेखा को लागू करने के लिए तेजी से कदम उठाने पर सहमत हुए थे।
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