भरतनाट्यम की मशहूर नृत्यांगना कुमारी कमला का निधन

भारतीय शास्त्रीय नृत्य की दुनिया ने एक महान विभूति को खो दिया है। प्रसिद्ध भरतनाट्यम नर्तकी कुमारी कमला — जिन्हें कमला लक्ष्मीनारायणन या बेबी कमला के नाम से भी जाना जाता है — का 91 वर्ष की आयु में कैलिफोर्निया (अमेरिका) में निधन हो गया। एक बाल प्रतिभा से लेकर विश्वप्रसिद्ध कलाकार और अध्यापिका बनने तक की उनकी यात्रा भरतनाट्यम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। उनका जीवन भारतीय नृत्य परंपराओं के एक महत्वपूर्ण परिवर्तन — सदीर से भरतनाट्यम के रूपांतरण — का जीवंत प्रमाण था।

सदीर से भरतनाट्यम: नृत्य परंपरा का नवजागरण

  • कमला उन कुछ कलाकारों में थीं जो मंदिरों में प्रचलित सदीर नृत्य से लेकर मंच-उपयुक्त आधुनिक भरतनाट्यम के विकास की ऐतिहासिक प्रक्रिया की साक्षी रहीं।

  • प्रसिद्ध गुरु वझुवूर रमैय्या पिल्लै की शिष्या होने के कारण उन्होंने वझुवूर बानी की कोमलता, नज़ाकत, लयबद्धता और भावाभिव्यक्ति को उच्चतम स्तर तक साधा।

  • कमला के शुरुआती प्रदर्शनों ने उनकी लय पर अद्भुत पकड़, भावपूर्ण प्रस्तुतियों और मंच पर असाधारण नियंत्रण को उजागर किया।

करियर की महत्वपूर्ण झलकियाँ और वैश्विक प्रभाव

  • बहुत कम उम्र से नृत्य आरंभ करने के कारण उन्हें “बेबी कमला” के नाम से ख्याति मिली।

  • उन्होंने भारत और विदेशों में प्रतिष्ठित मंचों पर प्रदर्शन किए—विशेषकर नेहरू युग के सांस्कृतिक दौरों में वे भारत की सांस्कृतिक दूत बनीं।

  • जीवन के बाद के वर्षों में अमेरिका में बसकर उन्होंने नृत्य संस्थानों की स्थापना की और भारतीय प्रवासी समुदाय में भरतनाट्यम को लोकप्रिय बनाया।

  • भरतनाट्यम की शास्त्रीय शुद्धता और भावपूर्ण अभिव्यक्ति उनकी शैली की पहचान थी।

सम्मान और राष्ट्रीय पहचान

कुमारी कमला को उनकी अतुलनीय कला के लिए अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले:

  • पद्म भूषण (1970) — भारत का उच्च नागरिक सम्मान

  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1968) — संगीत, नाटक और नृत्य के क्षेत्र का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान

  • US National Heritage Fellowship — अमेरिका में भारतीय नृत्य को बढ़ावा देने के लिए दिया गया सर्वोच्च सम्मान

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने सात दशकों से अधिक समय तक भरतनाट्यम के संरक्षण और प्रसार में अप्रतिम योगदान दिया।

उनकी विरासत का महत्व

  • उनका जाना केवल एक महान कलाकार का निधन नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण के एक जीवित दस्तावेज़ का खो जाना है।

  • उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक दोनों रूपों में भरतनाट्यम को नई ऊँचाइयाँ दीं।

  • अमेरिका में उनके कार्य ने भारतीय नृत्य को वैश्विक पहचान दिलाई।

  • एक गुरु के रूप में उन्होंने अनुशासन, तकनीक और नृत्य-भक्ति के मूल्य सिखाए और उनके शिष्य आज विश्वभर में उनके नाम को आगे बढ़ा रहे हैं।

मुख्य स्थिर तथ्य

नाम: कमला लक्ष्मीनारायणन
लोकप्रिय नाम: कुमारी कमला / बेबी कमला
आयु: 91 वर्ष
निधन स्थान: कैलिफोर्निया, अमेरिका
प्रमुख गुरु: वझुवूर रमैय्या पिल्लै
नृत्य शैली: भरतनाट्यम (वझुवूर बानी)

प्रमुख पुरस्कार:

  • पद्म भूषण (1970)

  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1968)

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

IIT पटना ने रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए सुपरकंप्यूटर लॉन्च किया

IIT पटना ने बिहार के पहले ‘परम रुद्र’ सुपरकंप्यूटर का उद्घाटन किया है। यह राष्ट्रीय…

30 mins ago

जोहो के सहयोग से विकसित भारत का पहला स्वदेशी एमआरआई स्कैनर

जोहो समर्थित भारतीय स्टार्टअप VoxelGrids ने भारत का पहला स्वदेशी एमआरआई (मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग) स्कैनर…

5 hours ago

भारतीय रेलवे 2030 तक 48 शहरों में ट्रेनों की शुरुआती क्षमता को दोगुना करेगा

भारत सरकार ने घोषणा की है कि भारतीय रेलवे वर्ष 2030 तक देश के 48…

5 hours ago

ओडिशा के बरगढ़ में दुनिया का सबसे बड़ा ओपन-एयर थिएटर ‘धनु यात्रा’ शुरू

दुनिया के सबसे बड़े खुले रंगमंच धनु यात्रा का उद्घाटन ओडिशा के बरगढ़ में किया…

6 hours ago

पीवी सिंधु बीडब्ल्यूएफ एथलीट्स कमीशन की चेयरपर्सन चुनी गईं

भारत की बैडमिंटन आइकन पुसर्ला वेंकट सिंधु (पीवी सिंधु) ने कोर्ट के बाहर भी एक…

6 hours ago

सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने विशाल सांता क्लॉज़ बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया

प्रसिद्ध रेत कलाकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी स्थित…

7 hours ago