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BCCI ने यो-यो टेस्ट और डेक्सा को भारत चयन मानदंड का हिस्सा बनाने की घोषणा की

BCCI ने यो-यो टेस्ट और डेक्सा को भारत चयन मानदंड का हिस्सा बनाने की घोषणा की |_3.1

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आगामी वनडे वर्ल्ड कप को लेकर रोडमैप को तैयार करने के लिए बैठक की। इसके अलावा टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के प्रदर्शन की भी समीक्षा की गई। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। इनमें से ज्यादातर फैसले खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर लिए गए हैं। अब यो-यो टेस्ट और डेक्सा टेस्ट खिलाड़ियों के राष्ट्रीय टीम में चयन के लिए जरूरी कर दिया गया है।

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यो-यो टेस्ट में कोरोना के दौरान खिलाड़ियों के मेंटल हेल्थ को देखते हुए नरमी बरती गई थी। टीम चयन के लिए जरूरी इस टेस्ट को लगभग हटा दिया था। हालांकि, अब फिर से यो-यो टेस्ट को जरूरी कर दिया गया है। साथ ही डेक्सा जिसे ड्यूअल एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पटियोमेट्री कहते हैं, लागू किया गया है।

 

यो-यो टेस्ट क्या है और भारतीय क्रिकेट टीम में कब शुरू किया गया था?

 

  • यो-यो टेस्ट बीप टेस्ट जैसा होता है। यह एक रनिंग टेस्ट होता है जिसमें दो सेटों के बीच दौड़ लगानी होती है।
  • दो सेटों के बीच की दूरी 20 मीटर होती है। यह करीब-करीब क्रिकेट पिच की लंबाई के बराबर है।
  • इस दौरान खिलाड़ियों को एक सेट से दूसरे सेट तक दौड़ना होता है और फिर दूसरे सेट से पहले सेट तक आना होता है।
  • एक बार इस दूरी को तय करने पर एक शटल पूरा होता है।
  • टेस्ट की शुरुआत पांचवें लेवल से होती है। यह 23वें लेवल तक चलता रहता है।
  • हर एक शटल के बाद दौड़ने का समय कम होते रहता है, लेकिन दूरी में कमी नहीं होती है।
  • भारतीय खिलाड़ियों के यो-यो टेस्ट में 23 में से 16.5 स्कोर लाना होता है।
  • यो-यो टेस्ट का आविष्कार डेनमार्क के फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट डॉ जेन्स बैंग्सबो ने 1990 के दशक में किया था।
  • इसे इंटरमिटेंट रिकवरी टेस्ट (यो-यो टेस्ट) कहा जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य खेलों ने यो-यो टेस्ट को अपनाना शुरू कर दिया।
  • भारतीय क्रिकेट टीम में यह टेस्ट 2017 में जुड़ा था। तब स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच शंकर बसु ने इस टेस्ट को भारतीय टीम पर लागू किया था।

 

क्या है डेक्सा (DEXA) टेस्ट?

 

  • डेक्सा टेस्ट हड्डियों की मजबूती की जांच के लिए करवाया जाता है।
  • इस टेस्ट के जरिये ड्यूअल एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पटियोमेट्री (डेक्सा) मशीन की मदद से हड्डियों के डेंसिटी को परखा जाता है।
  • इसके अलावा डेक्सा टेस्ट से हड्डियों की कमजोरी की वजह का पता लगाया जाता है।
  • इस टेस्ट के जरिये हड्डियों में मौजूद कैल्शियम और अन्य मिनरल्स की जानकारी मिलती है।

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