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आयुष मंत्रालय ने औषधीय पौधों के संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु दो ऐतिहासिक समझौते किए

भारत की औषधीय पौधों की समृद्ध विरासत के संरक्षण और उनके लाभों के बारे में ज्ञान के प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, आयुष मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने दो महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पहल का उद्देश्य न केवल दुर्लभ औषधीय प्रजातियों का संरक्षण करना है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा में उनकी भूमिका के बारे में जन जागरूकता भी बढ़ाना है। हस्ताक्षर समारोह नई दिल्ली स्थित निर्माण भवन में केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव की उपस्थिति में आयोजित किया गया।

ईशवेद-बायोप्लांट्स वेंचर के साथ समझौता

पहला समझौता राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) और पुणे स्थित ईशवेद-बायोप्लांट्स वेंचर के बीच हुआ। यह समझौता दुर्लभ, संकटग्रस्त और विलुप्तप्राय (RET) औषधीय पौधों के जर्मप्लाज्म के संरक्षण पर केंद्रित है, जिसमें टिशू कल्चर तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह पहल आयुष क्षेत्र के लिए आवश्यक पौधों की दीर्घकालिक उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद करेगी। आधुनिक तकनीकों के माध्यम से, यह परियोजना एक टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

राष्ट्रीय औषधीय पादप उद्यान के लिए त्रिपक्षीय समझौता

  • दूसरा समझौता एक त्रिपक्षीय एमओयू है, जिसे एनएमपीबी, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), और एम्स (AIIMS) नई दिल्ली के बीच हस्ताक्षरित किया गया है।
  • इस सहयोग की प्रमुख पहल एम्स परिसर में राष्ट्रीय औषधीय पादप उद्यान की स्थापना है।
  • यह उद्यान रोगियों, छात्रों और आगंतुकों के लिए औषधीय पौधों की उपचारात्मक क्षमताओं को समझने हेतु एक शैक्षिक और जागरूकता केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
  • यह जीवंत संसाधन केंद्र पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ जोड़ने को बढ़ावा देगा।

स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत की ओर

ये समझौते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप हैं। ये पहल न केवल भारत की समृद्ध औषधीय वनस्पति विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, बल्कि आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली में उनके समावेश को भी सशक्त करती हैं।

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