भारतीय पुरुष चार गुणा 400 मीटर रिले टीम ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत लिया है। मोहम्मद अनस याहिया, अमोज जैकब, मोहम्मद अजमल वारियाथोड़ी और राजेश रमेश की चौकड़ी ने कमाल कर दिया और चार गुणा 400 मीटर रिले में भारत को 61 साल बाद स्वर्ण दिलाया। भारतीय पुरुषों की 4×400 मीटर रिले टीम ने यहां एशियाई खेलों में इतिहास रचते हुए जकार्ता में 1962 के संस्करण के बाद पहली बार स्वर्ण पदक जीता।
मोहम्मद अनस याहिया, अमोज जैकब, मोहम्मद अजमल वरियाथोडी और राजेश रमेश की भारतीय पुरुष चौकड़ी ने 3 मिनट 01.58 सेकंड के समय के साथ पोल पोजीशन में दौड़ समाप्त करके स्वर्ण पदक जीता। कतर ने 3:02.05 के साथ रजत और श्रीलंका ने 3:03.55 के साथ कांस्य पदक जीता। विथ्या रामराज, ऐश्वर्या मिश्रा, प्राची और सुभा वेंकटेशन की महिला टीम ने 4×400 मीटर रिले में सिल्वर मेडल पर कब्जा किया।
मुहम्मद अनस ने पांचवें स्थान से शुरुआत करते हुए 43.60 का समय लेकर तेज शुरुआत की। हालांकि अमोज जैकब थोड़े धीमे थे, क्योंकि उनका पैर 47.01 पर था, फिर भी वह भारत को पहली रैंक पर खींचने में कामयाब रहे। जब मोहम्मद अजमल ने कमान संभाली, तो कतर भारतीयों पर भारी पड़ रहा था, लेकिन उन्होंने 45.61 सेकंड में अपना लेग पूरा करके भारत की स्थिति बरकरार रखी और अंतिम चरण में, राजेश रमेश ने 45.36 का समय निकाला, और पहले स्थान पर फिनिश लाइन तक पहुंच गए।
एशियाड में 4×400 मीटर रिले: भारतीय पुरुष टीम का इतिहास
चार गुणा 400 (4×400) मीटर रिले साल 1951 से एशियाई खेलों का हिस्सा रहा है। 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में भारत ने स्वर्ण जीता था। तब एएस बख्शी, गोविंद सिंह, बलवंत सिंह और करण सिंह भारतीय टीम का हिस्सा रहे थे। 1954 मनीला एशियाई खेलों में भारत ने रजत पदक जीता था। तब जोगिंदर सिंह धनौड़, इवान जैकब, हरजीत सिंह और जेबी जोसेफ भारतीय टीम का हिस्सा रहे थे।
1962 जकार्ता एशियाई खेलों में भारत ने स्वर्ण जीता था। दलजीत सिंह, जगदीश सिंह, माखन सिंह और मिल्खा सिंह उस टीम का हिस्सा रहे थे। 1970 बैंकॉक एशियाई खेलों में भारत ने चार गुणा 400 मिटर रिले में रजत पदक जीता था। तब भोगेश्वर बरुआ, पीसी पुनप्पा, सुचा सिंह और अजमेर सिंह भारतीय टीम का हिस्सा रहे थे।
1974 तेहरान एशियाई खेलों में भारत ने रजत जीता था। लेहमबर सिंह, श्रीराम सिंह, सुचा सिंह और पीसी पुनप्पा तब टीम का हिस्सा रहे थे। 1978 बैंकॉक एशियाई खेलों में भारत ने रजत जीता था। तब मुरली कुट्टन, हरकमलजीत सिंह, उदय कृष्ण प्रभु और श्रीराम सिंह भारतीय टीम का हिस्सा थे।
इसके बाद 1998 बैंकॉक एशियाई खेलों में भी भारत ने रजत पर कब्जा जमाया। लिजो डेविड थोट्टन, पुरुकोट्टम रामचंद्रन, परमजीत सिंह और जटा शंकर भारतीय टीम का हिस्सा थे। 2002 बुसान एशियाई खेलों में पुरुकोट्टम रामचंद्रन, मनोज लाल, सतवीर सिंह और भुपिंदर सिंह की टीम ने रजत जीता था।
वहीं, 2006 दोहा एशियाई खेलों में अबू बकर, जोसेफ अब्राहम, भुपिंदर और केएम बिनू की चौकड़ी ने रजत पर कब्जा किया था। 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में कुन्हू मोहम्मद, धरुन अय्यासामी, मोहम्मद अनस, अरोकिया राजीव, केएस जीवन और जिथु बेबी की टीम ने रजत जीता था। अब 2023 हांगझोऊ एशियाई खेलों में भारत ने चार गुणा 400 मीटर रिले में स्वर्ण जीता है।
चार गुणा 400 मीटर रिले क्या है?
चार गुणा 400 मीटर रिले में प्रत्येक देश के चार धावक शामिल होते हैं, जो हाथ में एक बैटन के साथ समान दूरी की दौड़ लगाते हैं। एक सर्कल के बाद वह दूसरे एथलीट को बैटन पास करते हैं और फिर वह एथलीट सर्कल पूरी करता है। चार एथलीट ऐसा करते हैं और आखिरी वाले एथलीट की दौड़ निर्णायक साबित होती है। इस स्पर्धा की शुरुआत में सबसे पहले अनस याहिया दौड़े और वह एक सर्कल के बाद पांचवें स्थान पर चल रहे थे। उन्होंने 43.60 सेकंड का समय लिया।