भारत ने अपनी कानूनी और प्रशासनिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, क्योंकि अंजू राठी राणा को देश की पहली महिला विधि सचिव नियुक्त किया गया है। भारतीय विधि सेवा (ILS) की एक प्रतिष्ठित अधिकारी, राणा की यह नियुक्ति कानून और न्याय मंत्रालय में एक ऐतिहासिक क्षण को चिह्नित करती है। सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी की है।
अंजू राठी राणा की ऐतिहासिक नियुक्ति
विधि सचिव का पद, जिसे आधिकारिक रूप से सचिव, कानूनी कार्य कहा जाता है, परंपरागत रूप से पुरुषों द्वारा संभाला जाता रहा है। अंजू राठी राणा ने इस परंपरा को तोड़ते हुए इस प्रतिष्ठित पद को संभालने वाली पहली महिला बनने का गौरव प्राप्त किया है।
उनकी नियुक्ति नितिन चंद्रा, जो एक आईएएस अधिकारी थे, के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद हुई। उनकी नियुक्ति को सरकार में उच्च पदों पर लैंगिक समावेशन (Gender Inclusion) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
व्यावसायिक यात्रा और अनुभव
अंजू राठी राणा ने कानून के क्षेत्र में दशकों तक सेवा दी है। विधि सचिव बनने से पहले, उन्होंने दिल्ली सरकार में एक प्रमुख भूमिका निभाई। वह 18 वर्षों तक लोक अभियोजक (Public Prosecutor) के रूप में कार्यरत रहीं, जहां उन्होंने राज्य की ओर से अपराधियों पर मुकदमा चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके बाद, वर्ष 2017 में, उन्होंने कानून और न्याय मंत्रालय में संयुक्त सचिव (Joint Secretary) के रूप में कार्यभार संभाला। सरकारी कानूनी प्रशासन और नीतिगत निर्माण में उनके व्यापक अनुभव ने उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार बनाया।
विधि सचिव के रूप में उनकी जिम्मेदारियाँ
अंजू राठी राणा की नई भूमिका में उनकी मुख्य जिम्मेदारियाँ होंगी:
- भारत सरकार को विभिन्न नीतियों और संवैधानिक मामलों पर कानूनी परामर्श देना।
- नए कानूनों और संशोधनों के लिए विधायी मसौदा तैयार करना।
- भारत सरकार से जुड़े मामलों में मुकदमों के प्रबंधन की निगरानी करना।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संधियों के अनुपालन को सुनिश्चित करना।
- न्यायपालिका, राज्य सरकारों और अन्य कानूनी संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करना।
उनकी नियुक्ति का महत्व
अंजू राठी राणा की नियुक्ति भारत के कानूनी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह नियुक्ति:
- देश के विधि प्रशासन में लैंगिक बाधाओं (Gender Barriers) को तोड़ती है।
- महिला कानूनी पेशेवरों को उच्च पदों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करेगी।
- कानून और न्याय मंत्रालय में दशकों के अभियोजन और कानूनी अनुभव को जोड़ती है।
- सरकार की कानूनी व्यवस्था को मजबूत बनाकर कुशल नेतृत्व सुनिश्चित करती है।
चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ
पहली महिला विधि सचिव के रूप में, अंजू राठी राणा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिनमें शामिल हैं:
- संवैधानिक कानून, कॉर्पोरेट कानून और आपराधिक न्याय प्रणाली जैसे जटिल कानूनी मामलों का समाधान।
- यह सुनिश्चित करना कि विधायी प्रक्रियाएँ पारदर्शी और प्रभावी हों।
- कानूनी सुधारों को संतुलित रखते हुए संवैधानिक अखंडता की रक्षा करना।
- वैश्विक मंचों पर भारत के कानूनी हितों का प्रतिनिधित्व करना।
अंजू राठी राणा की यह नियुक्ति न केवल भारतीय कानूनी सेवाओं में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देती है, बल्कि सरकार के उच्चतम स्तर पर सशक्त और कुशल प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
| श्रेणी | विवरण |
| क्यों चर्चा में? | अंजू राठी राणा को भारत की पहली महिला विधि सचिव नियुक्त किया गया है, जो कानून और न्याय मंत्रालय के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। |
| अंजू राठी राणा कौन हैं? | वह भारतीय विधि सेवा (ILS) की एक प्रतिष्ठित अधिकारी हैं। उन्होंने 2017 से कानून और न्याय मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया और इससे पहले दिल्ली सरकार में 18 वर्षों तक लोक अभियोजक के रूप में सेवा दी। |
| उनकी नई भूमिका क्या है? | सचिव, कानूनी कार्य (Secretary, Legal Affairs) के रूप में, वह कानूनी नीतियों की निगरानी, विधायी मसौदा तैयार करने और सरकार को कानूनी परामर्श देने की जिम्मेदारी संभालेंगी। |
| इस पद को पहले कौन संभाल रहे थे? | इस पद को पहले आईएएस अधिकारी नितिन चंद्रा ने संभाला था, और उनकी नियुक्ति के बाद यह पद कई महीनों से रिक्त था। |
| मुख्य जिम्मेदारियाँ | – भारत सरकार को कानूनी और संवैधानिक मामलों पर परामर्श देना। |


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