केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किसानों के लिए ख़ास पोर्टल लॉन्च किया। तुअर दाल प्रोक्योरमेंट पोर्टल (Tur Dal Procurement Portal) के जरिये दाल बेचने वाले किसानों को सीधा फायदा होगा। उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए किसी भी बिचौलिए की जरूरत नहीं होगी।
तुअर दाल (Tur dal) की खेती करने वाले किसानों को अब अपनी फसल के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने 4 जनवरी को तुअर दाल प्रोक्योरमेंट पोर्टल लॉन्च किया। जिसके माध्यम से किसान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करके सीधे अपनी फसल बेच पाएंगे। दाल बेचने पर किसानों के खाते में राशि आ जाएगी।
तुअर दाल प्रोक्योरमेंट पोर्टल को लॉन्च करते समय अमित शाह ने कहा कि भारत साल 2027 तक दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा। यह पोर्टल कई भाषाओं में बनाया गया है। ताकि सभी राज्यों के किसानों को इसका लाभ मिल सके। इसके माध्यम से झारखंड, कर्नाटक, गुजरात, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों को अभी लाभ दिया जा रहा है। पोर्टल को किसानों के अनुरूप डिजाइन किया गया है। जिसमें रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया, दाल को बेचने-खरीदने की प्रक्रिया और भुगतान की प्रक्रिया भी बहुत आसान है।
भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ जैसी एजेंसिया दालों को खरीदकर बफर स्टॉक बनाकर रखती है। जब भी बाजार में दालों की आवश्यकता होती है तो सरकार इसी बफर स्टॉक से दाल निकाल कर मार्केट में सप्लाई करती है। अब इस पोर्टल के माध्यम से सरकार सीधे किसानों से बफर स्टॉक के लिए दाल खरीदेगी। जिस पर दालों की कीमत ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ या ‘बाजार मूल्य’ दोनों में से जो भी अधिक होगा उस दर पर तय की जाएगी।
अरहर की दाल को तुअर भी कहा जाता है।
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