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उत्तराखंड सुरंग से 17 दिन बाद सभी 41 मजदूरों को निकाला गया

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित सिल्कयारा की निर्माणाधीन सुरंग में पिछले 17 दिनों से फंसे 41 में से पहले मजदूर को बाहर निकाल लिया गया है। बाहर निकल कर आए मज़दूरों को एम्बुलेंस के ज़रिए सीधा चिन्यालीसौड़ के स्वास्थ्य केंद्र लाया जाया गया है। उन्हें वहाँ डॉक्टर्स की निगरानी में रखा जाएगा। सरकार का कहना है कि मज़दूरों के बचाव अभियान में राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ ही सेना, विभिन्न संगठन और विश्व के नामी टनल विशेषज्ञ शामिल थे।

रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, भारतीय थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों, अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका रही।

उत्तरकाशी जिले में हुए इस सुरंग हादसे में फंसे सबसे ज्यादा मजदूर झारखंड के रहने वाले थे। 41 में से 15 मजदूर झारखंड के रहने वाले थे, जबकि उत्तर प्रदेश के 7, बिहार के 5, ओडिशा के 5, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 3, असम के 2 और हिमाच प्रदेश का एक मजदूर था।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल में फंसे सभी मजदूरों को 60 मीटर की एक 800 MM की पाइप के जरिए निकाला गया। एनडीआरएफ की टीमों ने सभी मजदूरों को स्ट्रेचर और रस्सी की मदद से पाइप के जरिए बाहर निकाला है। सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए बचाव अभियान अब से लगभग 12 दिन पहले शुरू हुआ था, जो अब जाकर खत्म हुआ।

 

रैट माइनर्स की मदद से अंतिम 10 से 12 मीटर की खुदाई

सिल्क्यारा की निर्माणाधीन सुरंग की मैनुअली खुदाई के लिए 6 ‘रैट माइनर्स’ की एक टीम को सिल्क्यारा बुलाया गया। रैट माइनर्स की तरफ से अंतिम 10 से 12 मीटर की मैनूअल खुदाई के बाद 800 मिलीमीटर के व्यास वाले पाइप अंदर डाले गए, जिनके रास्ते मजदूरों को बाहर निकालने की तैयारी की गई। सुरंग से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

 

रैट होल माइनिंग क्या है?

रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। मतलब से ही साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है और हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है।

रैट होल माइनिंग नाम की प्रकिया का इस्तेमाल आमतौर पर कोयले की माइनिंग में खूब होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग जमकर होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है।

 

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