अर्जेंटीना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर निकलने की घोषणा की है, जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसी तरह के फैसले के बाद हुआ है। राष्ट्रपति जेवियर मिलेई की सरकार ने WHO की स्वास्थ्य नीतियों, विशेष रूप से COVID-19 महामारी के प्रबंधन को लेकर गहरी असहमति जताई है। इस निर्णय ने अर्जेंटीना की वैश्विक स्थिति, स्वास्थ्य नीति और WHO की विश्वसनीयता पर प्रभाव को लेकर बहस छेड़ दी है। आलोचकों का कहना है कि यह फैसला कांग्रेस की मंजूरी के बिना पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो सकता और इससे अर्जेंटीना की स्वास्थ्य प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
अर्जेंटीना के WHO से बाहर निकलने के प्रमुख बिंदु
निर्णय और घोषणा
अर्जेंटीना ने बुधवार को WHO से बाहर निकलने की घोषणा की। राष्ट्रपति प्रवक्ता मैनुअल एदोर्नी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले की पुष्टि की। विदेश मंत्री गेरार्डो वर्थेइन को आधिकारिक रूप से निकासी प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
वजहें
राष्ट्रपति जेवियर मिलेई ने WHO की स्वास्थ्य नीतियों और प्रबंधन को लेकर गहरी असहमति व्यक्त की। अर्जेंटीना सरकार ने COVID-19 महामारी के दौरान WHO की भूमिका की आलोचना की। संगठन की राजनीतिक स्वतंत्रता और बाहरी प्रभाव को लेकर भी सवाल उठाए गए। पिछले वामपंथी सरकार द्वारा लगाए गए लंबे लॉकडाउन भी इस फैसले की एक बड़ी वजह बताए जा रहे हैं।
अमेरिकी नीति के साथ मेल
मिलेई अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का अनुसरण करते हैं और उन्हें अपना राजनीतिक सहयोगी मानते हैं। ट्रंप ने जनवरी 2025 में दोबारा राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद अमेरिका को WHO से बाहर कर लिया था। दोनों नेताओं ने WHO की महामारी प्रबंधन और वित्तीय नीतियों की कड़ी आलोचना की थी।
कानूनी और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला कांग्रेस की मंजूरी के बिना कानूनी रूप से प्रभावी नहीं होगा। आलोचकों के अनुसार, इसे कानूनी रूप से पारित कराने की आवश्यकता है। इस निर्णय से अर्जेंटीना की चिकित्सा आपूर्ति और स्वास्थ्य तकनीकों तक पहुंच प्रभावित हो सकती है। मिलेई सरकार पहले ही स्वास्थ्य बजट में कटौती कर चुकी है, जिससे टीकाकरण कार्यक्रमों में कमी और स्वास्थ्य क्षेत्र में छंटनी देखी गई है।
WHO पर प्रभाव
अमेरिका WHO का सबसे बड़ा दाता है, जो वार्षिक $950 मिलियन (कुल बजट का 15%) का योगदान करता है। अर्जेंटीना का योगदान मात्र $8 मिलियन है, जो वित्तीय रूप से WHO को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा। हालांकि, विशेषज्ञों को आशंका है कि अन्य देश भी अर्जेंटीना के कदम का अनुसरण कर सकते हैं, जिससे WHO की वैश्विक विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।
वैश्विक और घरेलू प्रतिक्रियाएं
आलोचकों का कहना है कि ट्रंप की नीतियों का अंधानुकरण अर्जेंटीना के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका पर अत्यधिक निर्भरता अर्जेंटीना के आर्थिक हितों के लिए जोखिमभरी हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता है कि यह निर्णय अर्जेंटीना की पहले से संकटग्रस्त स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।
क्यों चर्चा में है? | अमेरिका के बाद अर्जेंटीना ने WHO से नाता तोड़ा |
वजह | WHO की नीतियों, विशेष रूप से COVID-19 प्रबंधन पर असहमति |
प्रमुख व्यक्ति | राष्ट्रपति जेवियर मिलेई, विदेश मंत्री गेरार्डो वर्थेइन, प्रवक्ता मैनुअल एदोर्नी |
अमेरिकी प्रभाव | डोनाल्ड ट्रंप के WHO से बाहर निकलने के फैसले का अनुसरण |
कानूनी अड़चनें | WHO सदस्यता अर्जेंटीना के कानून का हिस्सा है, कांग्रेस की मंजूरी जरूरी |
स्वास्थ्य प्रभाव | चिकित्सा आपूर्ति और WHO कार्यक्रमों तक पहुंच प्रभावित होने की आशंका |
WHO के बजट पर प्रभाव | नगण्य वित्तीय असर, अर्जेंटीना का वार्षिक योगदान मात्र $8 मिलियन |
वैश्विक चिंताएं | अन्य देशों के भी WHO से बाहर होने की संभावना, संगठन की विश्वसनीयता पर असर |
घरेलू प्रतिक्रियाएं | विशेषज्ञों और विपक्ष की आलोचना, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंता |