अडानी समूह ने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जहां 23 जून 2025 को गुजरात के कच्छ में देश का पहला ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट चालू किया गया। यह अभिनव परियोजना भारत की स्वच्छ ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है और विकेन्द्रित हाइड्रोजन उत्पादन की तकनीकी संभावनाओं को दर्शाती है।
परियोजना की विशेषताएं
यह अत्याधुनिक संयंत्र पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित है और किसी भी प्रकार से मुख्य बिजली ग्रिड से जुड़ा नहीं है। यहां इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया द्वारा जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है, जिससे पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल हाइड्रोजन उत्पादन होता है।
अडानी न्यू इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (ANIL) – अडानी एंटरप्राइज़ेज की स्वच्छ ऊर्जा शाखा – द्वारा विकसित इस पायलट संयंत्र में अत्याधुनिक बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) भी है, जो सौर ऊर्जा की अनुपलब्धता के दौरान भी उत्पादन को लगातार बनाए रखता है।
तकनीकी नवाचार और निरंतर उत्पादन
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पूर्ण स्वचालित और बंद-लूप इलेक्ट्रोलाइज़र प्रणाली: रीयल-टाइम सौर ऊर्जा इनपुट के अनुसार प्रतिक्रिया करती है।
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इंटरमिटेंसी की चुनौती का समाधान: उत्पादन प्रक्रिया सौर ऊर्जा की अस्थिरता के बावजूद स्थिर रहती है।
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ऊर्जा दक्षता और लचीलापन दोनों का संयोजन।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन में योगदान
इस पायलट परियोजना को भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया गया है। इसका उद्देश्य:
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हाइड्रोजन आयात पर निर्भरता कम करना
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ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
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उच्च-उत्सर्जन वाले क्षेत्रों (जैसे उर्वरक, रिफाइनिंग, भारी परिवहन) में हरित ऊर्जा का उपयोग
ग्रीन हाइड्रोजन, जो केवल जल वाष्प छोड़ता है, ग्रे हाइड्रोजन (जो जीवाश्म ईंधन से बनता है) से कहीं अधिक पर्यावरणीय रूप से अनुकूल होता है।
मुंद्रा में ग्रीन हाइड्रोजन हब
ANIL गुजरात के मुंद्रा में एक एकीकृत ग्रीन हाइड्रोजन हब विकसित कर रहा है, जिसमें शामिल हैं:
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ग्रीन अमोनिया और ग्रीन मेथनॉल उत्पादन
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सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) निर्माण
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सौर पैनल और इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण
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घरेलू और वैश्विक मांगों की पूर्ति के लिए आपूर्ति श्रृंखला
यह पायलट संयंत्र इस हब के लिए प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के रूप में कार्य करेगा।
औद्योगिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
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उर्वरक, भारी उद्योग और परिवहन क्षेत्रों में कार्बन-मुक्त विकल्पों की आवश्यकता को पूरा करेगा।
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वैश्विक नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को समर्थन।
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आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को मजबूती।
यह परियोजना यह दर्शाती है कि भारत अब स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है।
निष्कर्ष
कच्छ में अडानी समूह द्वारा स्थापित यह पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट न केवल एक तकनीकी मील का पत्थर है, बल्कि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी एक नई दिशा प्रदान करता है। यह मॉडल विकेन्द्रित, हरित और नवाचारी ऊर्जा उत्पादन के लिए एक प्रेरणा बनेगा।